Vaishno Devi: भारत देवी देवताओं का देश है। यहाँ हर देवी देवताओं से जुड़े कई सारे मंदिर है। हर मंदिर की अपनी अलग कहानी है। किसी किसी मंदिर से बहुत सी कहानियां जुडी रहती है तो किसी मंदिर से जुडी कहानियां हमें पता भी नहीं रहती।
इन्ही सारे मंदिरो में से एक माता दुर्गा का Vaishno Devi Temple है जिसके बारे में बताया जाता है कि माता दुर्गा ने भैरव से बचने के लिए यहाँ 9 महीने तक छिपी रही थी। आज का ये blog आपको माता दुर्गा से जुड़े इस मंदिर की सभी कहानियां और mysteries के बारे में बताएगा।
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यह मंदिर हिन्दुओ के सभी important मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हिन्दुओ के सभी important मंदिरों में से एक है। यह मंदिर जम्मू में कटरा से लगभग 15 kilometers दूर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को माता रानी मंदिर भी बोला जाता है। इस मंदिर में माता रानी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के साथ विराजमान है।
माँ आदिशक्ति दुर्गा के रूप माँ वैष्णो देवी को त्रिकुटा और वैष्णवी भी बोला जाता है। यहा पर आदिशक्ति स्वरूप महालक्ष्मी, महाकाली तथा महासरस्वती पिंडी रूप मे त्रेता युग से एक गुफा मे विराजमान है और माता वैष्णो देवी स्वयं यहां पर अपने शाश्वत निराकार रूप मे विराजमान है। पुराणों के अनुसार यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में भी शामिल है। इतना ही नहीं यह मंदिर Tirumala Venkateshwar मंदिर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला मंदिर भी है।
Beliefs related to Vaishno Devi
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माता दुर्गा का श्रीधर नाम का एक भक्त था। वह प्रतिदिन बहुत ही निष्ठा से माता की पूजा करता था। उसी गाँव में भैरव नाम का एक साधु रहता था। एक बार उसने श्रीधर से बोला की कल मै और मेरे कई साथी तुम्हारे घर भोजन के लिए आएंगे।
श्रीधर बेचारा बहुत गरीब था। उसे इस बात की चिंता सताने लगी की कल जब सभी साधू उसके घर भोजन के लिए आएंगे तो वो उन्हें क्या खिलायेगा ? उसकी परेशानी को देखते हुए उसकी पत्नी ने कहा कि आप सब माता रानी पर छोड़ दीजिये। माता रानी इस समस्या का कोई न कोई समाधान जरूर निकालेगी।
इसी बात को सोचते सोचते श्रीधर सो गया और उसके सपने में माता ने दर्शन दिए और बोला की तुम मेरे प्रिय भक्त हो। उन साधुओ को आने दो, उनके आने से पहले तुम्हारा भण्डार अनाज से भर जायेगा। सुबह जब श्रीधर की आँख खुली तो उसने देखा की उसका सारा भण्डार भरा हुआ है।
जब भैरव अपने साथियों के साथ भोजन करने बैठा तो उसने देखा की भोजन में सिर्फ शाकाहारी खाना ही है। तो भैरव ने गुस्से में आकर बोला की मेरे लिए मांस और मदिरा लेकर आओ। इस बात को सुनते ही माता रानी एक छोटी लड़की के रूप में वहां प्रकट हुई और श्रीधर को समझाने की कोशिश की। माता रानी की बात न समझकर भैरव ने इसे खुद का अपमान समझा और उस लड़की को पकड़ने के उसके पीछे भागा।
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वो लड़की भागते भागते त्रिकुटा पर्वत पर जाकर छिप गई। माता रानी का पीछा करते करते भैरव भी वहां पंहुचा। अपनी रक्षा के लिए माता रानी ने हनुमानजी को बुलाया। कुछ समय बाद जब हनुमानजी को प्यास लगी तो माता रानी ने उनके request पर एक बाण चलाकर वहां एक जलधारा निकाली। हनुमानजी ने उस जल से अपनी प्यास बुझाई और माता रानी ने अपने बाल धोये।
अपने बाल धोने के बाद माता रानी ने उस गुफा में भैरव से छिप कर 9 महीने तक तपस्या की। माता की तपस्या पूरी होने पर माता ने भैरव को बुलायाऔर समझाने की कोशिश की but भैरव नहीं माना और वह माता से युद्ध करने के घोषणा कर दी। तब हनुमानजी ने माता की तरफ से लड़ाई की। काफी समय तक जब उनदोनो की लड़ाई का result नहीं आया तो माता रानी ने खुद भैरव का अंत किया।
भैरव की पूजा भी है जरुरी
जब माता रानी ने भैरव का सिर काटकर उसे मुक्ति दी तो भैरव को अपनी गलती का एहसास हुआ। माता रानी ये पहले से जानती थी की भैरव उनका ही भक्त है जो अपनी मुक्ति पाने के लिए उसने युद्ध कर रहा था। माता रानी ने तब भैरव को वरदान दिया कि जो भी भक्त यहाँ आकर मेरी पूजा करेगा उसे तुम्हारी भी पूजा करनी होगी तभी उसे पूर्ण फल प्राप्त होगा।
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1 ही बार होता है गर्भ गृह का दर्शन
हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है की हम सभी माता रानी के संतान है। कोई भी इंसान एक ही बार माता के गर्भ में रहता है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर भक्त सिर्फ एक ही बार माता रानी के गर्भ गृह का दर्शन कर सकता है।
भगवान विष्णु की वंशज है Vaishno Devi
पौराणिक कथाओ के अनुसार माता Vaishno Devi का जन्म South India के रत्नाकर में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि अपने जन्म से एक रात पहले अपनी माँ से उन्होंने ये वचन लिया की उनके रास्ते में कोई भी नहीं आएगा। बचपन में उस कन्या का नाम त्रिकुटा था जिसका जन्म बाद में भगवान विष्णु के परिवार में हुआ इसलिए उनका नाम वैष्णवी पड़ा।
Conclusion
Hindu religion में Vaishno Devi Temple का बहुत importance है। यह माता दुर्गा से जुड़े 108 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर को माता रानी, त्रिकुटा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में पूजा करने के बाद माता रानी के भक्त भैरव की पूजा करनी जरुरी है तभी उसे पूरा फल प्राप्त होगा। अगर आपको ये blog पसंद आया हो तो comment के through हमें जरूर बताएं।
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