माथे पर Tilak क्यों लगाया जाता है ? जाने इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण।1 min read

Tilak
Spread the love
Native Async

Tilak हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो religious and social achievements को संकेतित करता है। यह हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग माना जाता है जो व्यक्ति के religious and social status का प्रतीक है। Tilak का महत्व हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में बहुत गहरा है।

Tilak को हिन्दू धर्म में उच्चतम माना जाता है। यह न केवल देवी-देवताओं की पूजा का एक अभिन्न अंग है, बल्कि इसका उपयोग समाज में आदर्श और सम्मान के प्रतीक के रूप में भी किया जाता है। धार्मिक आयोजनों, उत्सवों, और समाज के विभिन्न अवसरों पर Tilak लगाना हमारे संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।

Tilak का अर्थ और रूप भिन्न-भिन्न समुदायों और परंपराओं में विभिन्नता दिखाता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक होता है – righteousness and honor का प्रतीक बनना। Tilak के रूप में अनेक प्रकार के पाउडर, रंग, और धातुओं का उपयोग किया जाता है। यह न केवल self-stimulation का संकेत होता है, बल्कि सोचने और आचरण का भी प्रेरणा स्रोत बनता है।

Join our telegram channel  https://t.me/sandeshpatr

यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि तिलक हमारे संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न हिस्सा है जो हमें हमारे धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का आदान-प्रदान करने में मदद करता है। यह धार्मिक संस्कृति का एक गहरा और सजीव हिस्सा है जो हमें हमारे आदर्शों और सम्प्रेषणों को निभाने के लिए प्रेरित करता है।

Tilak लगाने का धार्मिक महत्व

भारतीय परंपरा में तिलक का महत्व अत्यंत गहरा है। तिलक को सम्मान का सूचक माना जाता है, जो हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे माथे पर लगाने से न केवल धार्मिकता का संकेत मिलता है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है।

Tilak

वैदिक शास्त्रों में माना जाता है कि तिलक लगाने से मनुष्य के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इससे उसकी शारीरिक स्थिति में सुधार होती है और उसका मन प्रसन्न रहता है। तिलक का उपयोग चंदन, कुमकुम, रोली, या अन्य साधनों से किया जाता है, जो आत्मा को प्रेरित करते हैं और शुभ कार्यों की ओर मुख्य करते हैं।

तिलक लगाने का एक अन्य महत्वपूर्ण आधार उसका धार्मिक संदेश है। तिलक के रूप में चंदन या कुमकुम का उपयोग धार्मिक उत्सवों, पूजा-अर्चना, और समाज के धार्मिक कार्यों में किया जाता है। इससे धार्मिक संवेदना बढ़ती है और व्यक्ति अपने धार्मिक कर्तव्यों के प्रति समर्पित होता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, तिलक लगाने से मनुष्य के कुंडली में मौजूद उग्र ग्रहों का प्रभाव कम होता है। इससे उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार होता है और वह सम्मान से भरपूर जीवन जीता है।

तिलक लगाने से न केवल धार्मिक विश्वास और समर्पण का प्रतीक मिलता है, बल्कि यह व्यक्ति को आत्म-समर्पण और सामाजिक दायित्व के प्रति समर्पित बनाता है। इससे समाज में समर्थ, सजीव, और समृद्ध व्यक्ति के रूप में उसकी पहचान होती है और वह समाज के लिए एक उत्तम सदस्य बनता है। सम्मान के इस प्रतीक के रूप में तिलक का महत्व बहुत अधिक है। यह हमें हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में समर्थ, संवेदनशील, और समर्पित बनाता है, जो एक समृद्ध समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

Follow us on Instagram  https://www.instagram.com/sandesh.patr/

किस उंगली से तिलक लगाने का क्या फल

स्कंदपुराण में बताया गया है कि अलग-अलग अंगुली से तिलक लगाने से विभिन्न फल प्राप्त होता है। अनामिका से तिलक करने पर शांति, मध्यमा से आयु, अंगूठे से स्वास्थ्य, और तर्जनी से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एक पौराणिक विश्वास है जो लोगों को धार्मिक और सामाजिक उपयोग के साथ ही शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है। इस प्रकार, विभिन्न अंगों से तिलक लगाना हमें शुभ फल प्राप्त करने में सहायक होता है और हमें धार्मिक एवं सामाजिक जीवन में समृद्धि और शांति की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है।

दिन के अनुसार तिलक

भारतीय संस्कृति में दिन के अनुसार Tilak लगाने का प्रचलन बहुत पुराना है, जिसमें हर दिन के लिए विशेष रूप से निर्धारित रंग और सामग्री का उपयोग किया जाता है। इस प्रत्येक दिन के तिलक के पीछे विशेष धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं चिपकी हैं, जो मान्यता के अनुसार लोगों को शुभ फल प्राप्ति में मदद करती हैं।

सोमवार के दिन, जो किसी भी सप्ताह का पहला दिन होता है, सफेद चंदन का तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है। यह चंदन की शांतिप्रद गुणवत्ता से जुड़ा है। मंगलवार के दिन, जो चींटी और शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर Tilak लगाने से शुभ फल होता है।

Tilak

बुधवार के दिन, जिसे बुद्ध के नाम पर समर्पित किया जाता है, सूखा सिंदूर लगाने से भगवान की कृपा होती है और उसके आशीर्वाद से व्यक्ति की समस्याओं का समाधान होता है। गुरुवार के दिन, जिसे गुरु के नाम पर समर्पित किया जाता है, पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। शुक्रवार के दिन, जिसे शुक्र के नाम पर समर्पित किया जाता है, लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाने से घर में खुशहाली आती है।

Follow us on twitter https://twitter.com/sandeshpatr

शनिवार के दिन, जिसे शनि के नाम पर समर्पित किया जाता है, भस्म का तिलक लगाने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। रविवार के दिन, जो सूर्य के नाम पर समर्पित किया जाता है, लाल चंदन लगाने से व्यक्ति को मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। ये तिलक के विभिन्न रंग और सामग्री के उपयोग के पीछे गहरा धार्मिक और सामाजिक महत्व है, जो लोगों को उनके धर्मिक और सामाजिक कर्तव्यों को सम्मानित करता है और उन्हें शुभ फल प्राप्ति में मदद करता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हमारे मस्तिष्क में सुषुम्ना, इडा और पिंगला नाड़ियाँ मौजूद होती हैं, जो हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्षमताओं को नियंत्रित करती हैं। इन नाड़ियों के संतुलन में तिलक लगाने से हमारे मस्तिष्क का आज्ञाचक्र जाग्रत होता है, जिससे हमारी ऊर्ध्वगामी शक्ति बढ़ती है। तिलक के इस प्रभाव से हमें शीतलता, तरावट और शांति का अनुभव होता है, जो हमारे मन को शांत करता है। सिर में दर्द की पीड़ा कम होती है और हमारी मेधाशक्ति तेज होती है।

तिलक लगाने से हमारी मानसिक स्थिति में स्थिरता आती है। यह हमें अपने अंतरंग शक्तियों को समझने और उनका सही उपयोग करने में मदद करता है। इससे हमारा विवेकशीलता और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे हम सत्पथ पर अग्रसर होते हैं। तिलक लगाने से हमें अपने मानवीय और धार्मिक कर्तव्यों का समझने का और उन पर अधिक समर्पित होने का अनुभव होता है।

Tilak

इसके अलावा, तिलक लगाने का अर्थिक महत्व भी होता है। विभिन्न प्रकार के तिलकों का उपयोग किया जाता है, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक होते हैं। इससे हमारा धन, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति मजबूत होती है। इस रूप में, तिलक हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपाय है।

तिलक लगाने से हमारे मस्तिष्क का संतुलन स्थापित होता है और हमारी आत्मिक ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है। यह हमें अपने आत्मा के साथ संवाद करने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर करता है। इसलिए, तिलक लगाना एक प्राचीन और महत्वपूर्ण प्रथा है जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर समृद्धि की ओर ले जाती है।

Our more spiritual blogs are here https://sandeshpatr.com/category/spritual/

Native Async