Somnath Temple “First Jyotirlinga of Lord Shiva”, What is its History?2 min read

Somnath Temple
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Somnath Temple Indian history and Hinduism के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह गुजरात के west side में है, जो India के ancient and important religious places में से एक है। यहाँ एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसे आज भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इस मंदिर का construction स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।

इस मंदिर का construction इतिहास में कई बार हुआ और reconstruction भी किया गया। सर्वप्रथम, इस मंदिर का reconstruction भारतीय स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किया गया था। इसके बाद, यह world famous religious and tourist places बन गया है। मंदिर प्रांगण में एक घण्टे का sound और light show होता है, जो मंदिर के इतिहास को सुंदरता से चित्रित करता है। Somnath Temple की organization and management Somnath Trust के अधीन है। इस trust को सरकार द्वारा जमीन और income का management किया जाता है। लोककथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने यहीं देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्त्व बढ़ गया।

यह तीर्थ स्थल पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी famous है। चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहाँ श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहाँ तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्त्व है।

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Somnath Temple History

Somnath Temple का इतिहास अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण है। 8th Century में, Sindh के Arabic Governor जुनायद ने मंदिर को नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। उसके बाद गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 में मंदिर का तीसरी बार पुनर्निर्माण किया।

Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर का history incredible है। अल-बरुनी जैसे यात्री ने अपनी travel story में इसे describe किया, और महमूद गजनवी ने 1025 में मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी, और उसे नष्ट कर दिया। सोमनाथ मंदिर का निर्माण इतिहास में कई बार हुआ, और बाद में गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका reconstruction किया। फिर 1297 में Delhi Sultanate ने मंदिर को गिराया, और Aurangzeb ने 1706 में फिर से इसे गिरा दिया। सोमनाथ मंदिर का reconstruction स्वतंत्रता के बाद किया गया और 1955 में Indian President ने इसे राष्ट्र को dedicate किया। आज यह religious and tourist places के रूप में लोकप्रिय है, और इसे देश भर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।

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महमूद गजनी द्वारा 1026 में शिवलिंग को खंडित करने के बाद भी, सोमनाथ मंदिर का importance कभी भी कम नहीं हुआ। कई बार इस मंदिर को नष्ट किया गया, लेकिन शिवलिंग कभी भी नष्ट नहीं हुआ। मन्दिर के original place पर new temple का निर्माण किया गया है, जिसमें शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया है। यह मंदिर religious and cultural importance का प्रतीक है और लोग यहाँ आकर शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।

1948 में सोमनाथ को प्रभासतीर्थ, ‘प्रभास पाटण’ के नाम से जाना जाता था। यह जूनागढ़ रियासत का मुख्य नगर था। लेकिन 1948 के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया। मंदिर का बार-बार dismantling and restoration होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा। सन 1026 में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खंडित किया, वह यही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। इसके बाद कई बार मन्दिर और शिवलिंग को खंडित किया गया। ऐसा माना जाता है कि आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मन्दिर के हैं। महमूद गजनी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था। यहां तक कि इस मंदिर को अलाउद्दीन खिलजी के leadership में भी उत्तराखंड के शिखरों में जलाया गया था।

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Reconstruction after independence of India

सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मन्दिर की foundation stone रखी तथा 11 May 1951 को भारत के First President Dr. Rajendra Prasad ने मन्दिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया। नवीन सोमनाथ मन्दिर 1962 में fully formed हो गया। 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने पति की स्मृति में उनके नाम से ‘दिग्विजय द्वार’ बनवाया। मन्दिर के south में समुद्र के किनारे एक pillar है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मन्दिर और south pole के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। इस pillar को ‘बाणस्तम्भ’ कहते हैं।

Somnath Temple

Significance

वेदों के अनुसार, सोम (चंद्रमा) natural attributes and powers का symbol है। उनके विवाह के बाद, चंद्र ने रोहिणी को अपनी अन्य 27 पत्नियों से अधिक प्रिय थी, जिससे उनके अन्याय का भाव बनाया। इससे चंद्रमा की कांति और चमक में कमी आई, जो उन्हें परेशान करने लगी। चंद्रमा ने इस दुख का सामना किया और उन्होंने भगवान शिव की आराधना शुरू की। भगवान शिव के प्रसन्न होने पर, चंद्रमा को उनके शाप से मुक्ति मिली और सोमनाथ महादेव के रूप में उन्हें स्थान प्राप्त हुआ। इसी कारण मन्दिर का नाम सोमनाथ पड़ा, जो हिन्दू धर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।

श्रीकृष्ण की कथा में भी सोमनाथ का महत्व अत्यधिक है। वे भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, जहां उन्हें एक शिकारी द्वारा तीर से वार किया गया। इस घटना के पश्चात्, उन्होंने अपने देह को छोड़ दिया और वैकुण्ठ की यात्रा की। यहीं पर एक प्रसिद्ध कृष्ण मन्दिर भी स्थापित है। सोमनाथ महादेव के मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग प्राचीनतम समय से पूजित है। उनके दिव्य चमत्कारों के कारण, यह स्थान भगवान के पूजनीय स्थानों में से एक है। यहां पर आने वाले लोगों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें आनंद का अनुभव होता है।

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