Shani Shingnapur: क्यों आज भी खुले में विराजमान है शनि देव?1 min read

Shani Shingnapur
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Shani Shingnapur: हिन्दू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शनि देव किसी के साथ भी भेद भाव नहीं करते। सभी को उनके कर्मो के अनुसार बिना किसी भेदभाव के फल देते है। इनकी दृष्टि से कोई नहीं बचता फिर चाहे वो कोई देवता हो या फिर कोई इंसान ही क्यों न हो।

शनि देव के बारे में लोग हमेशा ये सोचते है कि उनके life में सारी परेशानी शनि देव के वजह से ही होती है but ऐसा नहीं है। शनि देव आपसे क्रोधित हो जाये तो आपके life में सिर्फ परेशानिया ही रहेगी but अगर एक बार शनि देव आपसे खुश हो जाये तो आपके life की सारी परेशानियां दूर हो जाएगी।

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पुरे देश में शनि देव के कई सारे मंदिर है but उनमे से Shani Shingnapur सबसे ज्यादा famous है। इस मंदिर से जुड़ी कई सारी मान्यतायें भी है। आज के इस blog में हम शनि देव के Shani Shingnapur Temple के बारे में जानेंगे।

Shani Shingnapur Temple

यह मंदिर महारष्ट्र के अहमदनगर में है। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती के दिन सूर्य देव और छाया के पुत्र के रूप में शनि देव का जन्म हुआ था। अपने अनगिनत mircales के वजह से शनि देव का ये मंदिर Guinness Book of World Records में दर्ज है।

अहमदनगर को संतो का गाँव भी बोला जाता है। अपने भक्तो में मन में शनि देव को लेकर अक्सर डर बना रहता है क्योंकि शनि देव का nature बहुत ही गुस्से वाला है but फिर भी इन्हे न्याय और कर्म का देवता कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भक्त अपने जीवन में परेशानियों से हमेशा घिरा रहता है अगर वो Shani Shingnapur में जाकर पुरे मन से पूजा करे तो उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है।

Shani Shingnapur मंदिर मैदान के बीच में है फिर जहाँ हर वक़्त सूरज की रौशनी आती है फिर भी शनि देव की मूर्ति की परछाई नहीं बनती। मंदिर मे शनि देव की पूजा एक काले पत्थर के रूप में की जाती है। अपनी स्थापना से लेकर आज तक उस काले पत्थर को एक खुले मैदान में रखा गया है। इसके बाद से आज तक इस मंदिर में छत नहीं बनाया गया गया है। मंदिर में आज भी शनि देव की पूजा खुले आसमान में की जाती है।

Shani Shingnapur Temple से जुड़ी मान्यताएं

इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर स्वयंभू यानि अपने आप बना हुआ है। इस मंदिर में शनि देव की पूजा काले पत्थर के रूप में होती है। इस मंदिर का निर्माण कलयुग में हुआ था। ऐसी माना जाता है कि जब कलयुग की शुरुआत हुई थी तब उस समय इस गाँव के कुछ चरवाहों को एक काले रंग की मूर्ति मिली थी।

मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि एक बार इस गाँव में बाढ़ आई थी। बाढ़ के वजह से water level इतना बढ़ गया था की पूरा गाँव डूबने लगा था। जब water level कम हुआ हो तो कुछ लोगो को बाढ़ के पानी में एक काले रंग का पत्थर दिखा।

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गाँव वालो ने ऐसा पत्थर कभी नहीं देखा था and लालच के वजह से उस पत्थर को तोड़ने के लिए जैसे ही चाकू चलाया, उस पत्थर से खून बहने लगा। पत्थर से खून बहता देख वो सभी डर गए और गाँव में जाकर बाकि गाँव वालो को इस घटना के बारे में बताया।

गाँव वालो ने जब दुबारा जाकर देखा तो वो सभी पत्थर को देख कर चौक गए। लोगो को ये समझ में नहीं आया की इस पत्थर के पीछे का राज क्या है ? इसलिए सभी लोग अगले दिन फिर से उस पत्थर को देखने का फैसला किया। उसी रात उस गाँव के मुखिया के सपने में शनि देव आये और बोले कि मै शनि देव हूँ और तुम्हे जो पत्थर मिला है उसे अपने गाँव लाओ और स्थापित करो।

अगले दिन मुखिया ने सभी गाँव वालो को इस सपने के बारे में बताया और सभी मिलकर उस पत्थर को उठाने की कोशिश की but पत्थर अपनी जगह से बिलकुल भी नहीं हिला। गाँव वालो ने अगले दिन नए plan के साथ आने का सोचा और वहां से चले गए। मुखिया के सपने में फिर से शनि देव आये और बोले की मै उस जगह से तभी हिलूंगा जब कोई सगे मामा और भांजा मुझे लेने आएंगे।

शनि देव के ये बताने के बाद उस काले रंग के पत्थर को उठाकर एक बड़े से मैदान में सूरज की रौशनी में स्थापित किया गया। उस दिन के बाद से ये मान्यता है की अगर सगे मामा और भांजा Shani Shingnapur में दर्शन के लिए एक साथ जाएँ तो उन्हें बहुत ज्यादा लाभ होगा।

बिना पुजारी के है ये मंदिर

अगर आप Shani Shingnapur मंदिर जायेंगे तो कुछ दूर चलने के बाद आपको वो मैदान दिखाई पड़ेगा। उस मैदान के बिलकुल बीच में शनि देव स्थापित है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग केसरी रंग के कपडे पहनकर जाते हैं। मंदिर में एक भी पुजारी नहीं है। जो भी इस मंदिर के दर्शन के लिए आते है वो सभी सीधा दर्शन करके मंदिर से बहार चले जाते है।

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पीछे देखना है मना

इस मंदिर में प्रतिदिन शनि देव की पूजा सरसो के तेल से की जाती है। मंदिर में आने भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार तेल का दान भी करते है। इस मंदिर से जुडी एक और मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आते है वो हमेशा सामने की ओर देखते हुए ही जाए। अगर पीछे से कोई आवाज लगाए तो कभी भी मुड़कर देखना नहीं चाहिए। पीछे देखने से पूजा का सारा फल नष्ट हो जाता है।

गाँव के किसी घर में दरवाजा नहीं है

इस गाँव के किसी भी घर में लोग ताला नहीं लगाते। गाँव के लोगो का मानना है कि इस गाँव में कभी भी चोरी नहीं होती। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी ने कभी चोरी करने की कोशिश भी कि तो शनि देव उसे तुरंत ही सजा देते है। इस गाँव में 2010 के बाद से चोरी की एक भी घटना नहीं घटी है। यहाँ तक की इस गाँव में bank में भी ताला नहीं लगता है।

Conclusion

शनि देव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। शनि देव बिना किसी भेद भाव के सभी को उसके कर्मो का फल देते है। अगर ये आप पर खुश ही जाये तो आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाती है but अगर एक बार आपसे नाराज़ हो जाये तो आपकी उलटी गिनती शुरू हो जाती है। अगर आपको ये blog पसंद आया हो तो comment के through हमें जरूर बताएं।

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