Sabrimala Temple: आखिर क्यों इस मंदिर में महिलाओ का आना मना था ? जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी2 min read

Sabrimala Temple
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Sabrimala Temple: भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई सारे देवी देवताओ को पूजा जाता है। हर देवी देवता को अपनी एक अलग कहानी होती है। उनके मंदिरो के भी कई सारे राज होते है। कई मंदिर तो ऐसे है जिनके निर्माण से ही विवादों से गहरा नाता रहा है। इनमे से कुछ मंदिर ऐसे भी है जो जाने अनजाने सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देते है। वही कुछ मंदिर ऐसे भी है जिनके रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया जैसे वैष्णो देवी के गर्भ गृह में जलता हुआ दीपक। वो दीपक बिना किसी घी या तेल से कई सालो से लगातार जलता हुआ आ रहा है।

आज का ये blog भारत के सबसे विवादित और रहस्य्मयी मंदिर Sabrimala Temple के बारे में है। ऐसी कौन सी वजह थी जिसके कारण महिलाओं के लिए इस मंदिर में प्रवेश वर्जित था। तो आइये इस मंदिर को करीब से जानने की कोशिश करते है।

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Sabrimala Temple

Sabrimala Temple केरल में सबसे ज्यादा visit किये जाने वाले जगहों में से एक है। यह मंदिर Western Ghat ranges में Periyar tiger reserve के बीच में है। यह मंदिर Lord Ayyappa को समर्पित है । Lord Ayyappa को भगवान शिव और भगवान विष्णु का संयुक्त रूप माना जाता है। Hindu Religion के दो प्रमुख संप्रदाय, Vaishnavism and Shaivism के रूप में भी देखा जाता है।

सबरीमाला का इतिहास बहुत पुराना है। यहां पर ज्यादातर पर्वतीय क्षेत्र के लोग भ्रमण करते हैं, और विभिन्न धार्मिक आस्थाओं को समर्पित करने के लिए आते हैं। इस पहाड़ी पर कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें से कुछ चालू हैं और कई पुराने अवशेष मात्र हैं।

सबरीमाला एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जो केरल के Pathanamthitta district में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर Periyar Tiger Reserve में 18 पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह मंदिर Lord Ayyappa को dedicated है। यह मंदिर Kerala, Tamil Nadu, Karnataka and Andhra Pradesh के साथ साथ देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों से आने वाले pilgrims को अपनी तरफ attract करता है। यह मंदिर सिर्फ November-December में मंडलपूजा, 14 January को मकर संक्रांति और 14 April को महा विशुव संक्रांति और मलयालम महीने के पहले पांच दिनों के दौरान पूजा के लिए खुला रहता है।

ऐसी मान्यता है कि Lord Ayyappa का जन्म भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार और भगवान शिव के मिलन से हुआ था।इसके अलावा, कुछ लोग मानते हैं कि Lord Ayyappa बुद्ध का एक अवतार है लेकिन इसके बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है। इस मंदिर के आस-पास और भी कई मंदिर हैं। Sabrimala Temple के पास ही Periyar Tiger Reserve है, जो Indian wildlife के conservation के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

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Origin Of Sabarimala Temple

Sabrimala Temple के इतिहास और स्थापना को लेकर विवाद चल रहा है।अलग अलग experts and historians के पास इस मंदिर को लेकर अपने-अपने theories हैं। ऐसा माना जाता है कि Lord Ayyappa के अवतार पंडालम राजवंश के राजकुमार थे जो ध्यान करने के लिए यहां आए थे। इसलिए इस जगह को मणिमंडपम के नाम से भी जाना जाता है।

कुछ experts and historians सबरीमाला मंदिर की स्थापना को भगवान परशुराम के नाम से जोड़ते हैं और ऐसा दावा करते है यह मंदिर उनके द्वारा निर्माण किये गए पांच मंदिरों में से एक है। 11th century तक geographical reasons के वजह से इस मंदिर तक पहुंचना बहुत कठिन था, लेकिन 12th century में राजा राजशेखर पांडियन को मंदिर तक पहुंचने का असली रास्ता मिल गया।

साल 1910 Lord Ayyappa की आधुनिक मूर्ति इस मंदिर में स्थापित की गई थी, और उसके बाद से यह स्थान लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया है। सबरीमाला मंदिर के संबंध में यह controversy चली आ रही है कि है किसने इसे स्थापित किया। कुछ लोग मानते हैं कि यह मंदिर भगवान परशुराम द्वारा स्थापित किया गया था, जबकि अन्य लोग इसे भगवान अयप्पा के अवतार के रूप में मानते हैं।

Sabarimala Temple का महत्व

  • यह मंदिर किसी विशेष समुदाय के नहीं, बल्कि सभी जातियों और धर्मों के लोगों के लिए खुला है। यह pilgrims अपने मन की शुद्धि के लिए आते हैं, जहाँ उन्हें आत्मा की उन्नति के लिए उपवास, ब्रह्मचर्य और आत्म-संयम की शिक्षा मिलती है।
  • मंदिर के प्रवेश करने के लिए, भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियों को पार करना पड़ता है। इन सीढ़ियों का प्रत्येक पद अलग-अलग मान्यताओं और पौराणिक कथाओं को बताता है।
  • यहाँ आने वाले सभी pilgrims की पहचान उनके पहनावे से होती है। वे काली या नीली पोशाक में रुद्राक्ष माला धारण करते हैं और अपने शरीर पर चंदन का लेप लगाते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण का भगवान परशुराम ने अपने सबसे प्रिय शिष्य अयप्पा की मूर्ति को यहाँ स्थापित किया।
  • यहाँ आने से पहले भक्तो को 41 दिन का कठिन उपवास और पूर्ण ब्रह्मचर्य करना होता है।

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धार्मिक मान्यताएं

सबरीमाला जाने से पहले सभी भक्तो को 41 दिनों तक कठिन उपवास और पूर्ण ब्रह्मचर्य (complete celibacy) का पालन करना पड़ता है। उन्हें lacto-vegetarian food यानि की ऐसा खाना तो शाकाहारी तो हो लेकिन उसमे दूध या उससे बना हुआ कोई भी product न हो का सख्ती से पालन करना, alcohol consumption न करना और बालों और नाखूनों को बिना काटे बढ़ने देना आवश्यक है। सभी भक्तो को दिन में दो बार स्नान करने और नियमित रूप से स्थानीय मंदिरों के दर्शन और पूजन करने की सलाह दी जाती है।

इस वजह से वर्जित था महिलाओ का प्रवेश

इस मंदिर के निर्माण से ही महिलाओ का प्रवेश बंद था क्योकि इस मंदिर से जुडी ऐसी मान्यता है कि Lord Ayyappa ब्रह्मचर्य का पालन करते थे इसलिए इस मंदिर में adult women के प्रवेश पर रोक है। सिर्फ छोटी लड़कियों और old women को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति है क्योंकि छोटी लड़कियों का mensuration शुरू नहीं होता और old women इस उम्र को पार चुकी होती है। पिछले कई सालो से महिलाओ द्वारा इस मंदिर में प्रवेश को लेकर कई बार प्रदशन भी किया गया।

महिलाओ को मिला प्रवेश का अधिकार

साल 1991 में Kerala High Court ने महिलाओ को entry को लेकर rules में changes किये थे। Kerala High Court के इस order के बाद 10 साल से काम उम्र की लड़कियों और 50 साल की उम्र पार कर चुकी महिलाओ को इस मंदिर में प्रवेश के अधिकार दिए गए। हालांकि ये काफी नहीं था। कई बार महिलाओ ने इस मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन मंदिर प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया।

धीरे धीरे ये मुद्दा Supreme Court तक पंहुचा और साल 2018 में Supreme Court ने सभी महिलाओ को ये अधिकार दे दिया कि वे इस मंदिर में पूजा कर सकती है। Supreme Court ने freedom of religion Article 35 का हवाला देते हुए कहा कि biological difference के basis पर किसी को भी मंदिर में पूजा पाठ करने से नहीं रोका जा सकता है।

Conclusion

जिस समय इस मंदिर का निर्माण हुआ था, उस समय महिलाओ के पास इतने अधिकार नहीं थे कि वे अपने लिए कुछ मांग कर सके। उस समय की सामाजिक स्थिति ऐसी थी कि महिलाओ को इस मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता था लेकिन जैसे जैसे समय बदलता गया महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुई और उन्होंने सरकार से ये मांग कि की उन्हें भी इस मंदिर में प्रवेश करने दिया जाये, क्योकि भारत का संविधान उन्हे ये अधिकार देता है।

इस तरह September 2018 में महिलाओ को ये इस मंदिर में प्रवेश का अधिकार मिला। अगर आपको ये blog पसंद आया हो तो हमें comment के through जरूर बताये।

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