Rameshwaram Temple world famous क्यों है ? जाने इस मंदिर से जुडी अनसुनी कहानी2 min read

Rameshwaram Temple
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Rameshwaram Temple तमिलनाडु के Ramanathapuram district में है। यह मंदिर हिंदूओं के सबसे पवित्र मंदिरो में से एक है और इसे चार धामों में से एक माना जाता है। रामेश्वरम मंदिर को Ramanatha Swamy Temple के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

जिस तरह से North India में काशी विश्वनाथ का महत्व है, उसी तरह South India में Rameshwaram का भी महत्व है। Rameshwaram Temple Indian Ocean and Bay of Bengal से चारों ओर से घिरा है एवं शंख के आकार का island है। सैकड़ो साल पहले यह island भारत की mainland से जुड़ा हुआ था लेकिन धीरे धीरे Indian Ocean की तेज लहरों से कटकर यह भारत से अलग हो गया, जिससे यह island चारों तरफ से पानी से घिर गया। काफी समय के बाद में एक German engineer ने Rameshwaram को जोड़ने के लिए एक पुल का निर्माण किया था।

Rameshwaram Temple की structure में South Indian architecture का brilliant reflection दिखाई देता है। इसकी specialty में से एक यह है कि मंदिर के अंदर एक जल कुंड है, जिसमें पूजारी गंगा जल को store करते हैं और उसे प्रतिदिन शिवलिंग पर अभिषेक के लिए प्रयोग किया जाता है।

रामेश्वरम का यह स्थान Religious and spiritual significance का symbol है और यहाँ के मंदिर की सुंदरता और शांति का अनुभव करने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं। रामेश्वरम मंदिर Indian culture का glorious and ancient body है, जो हमें हमारे Religious and cultural heritage की important stream का experience कराता है।

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History Of Rameshwaram Temple

माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने लंका से लौटते समय महादेव की इसी स्थान पर पूजा की थी। इन्हीं के नाम पर रामेश्वर मंदिर और रामेश्वर द्वीप का नाम पड़ा। ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने के बाद भगवान राम देवी सीता के साथ रामेश्वरम के तट पर कदम रखकर ही भारत लौटे थी। एक ब्राह्मण को मारने के दोष को खत्म करने के लिए भगवान राम शिव की पूजा करना चाहते थे।

चूंकि द्वीप में कोई मंदिर नहीं था, इसलिए भगवान श्रीराम ने शिव की मूर्ति लाने के लिए हनुमानजी को कैलाश पर्वत भेजा गया था। जब हनुमान समय पर शिवलिंग लेकर नहीं पहुंचे तब देवी सीता ने समुद्र की रेत को मुट्ठी में बांधकर शिवलिंग बनाया और भगवान राम ने उसी शिवलिंग की पूजा की। बाद में हनुमान द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी वहीं स्थापित कर दिया गया।

यह घटना रामेश्वरम मंदिर की महत्वपूर्ण कथा है और इसे मंदिर के भक्तों में गहरी श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। इसके अलावा, इस कथा का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है, जिससे इस मंदिर की मान्यता और महत्व और भी प्रमुख होता है। रामेश्वरम का यह history and antiquity मंदिर को religious and historical perspective से Indian culture का अहम हिस्सा बनाता है।

इसके बाद 15th Century में King Udayayan Sethupathi एवं नागूर निवासी वैश्य ने 1450 में इसके 78 feet ऊंचे गोपुरम का निर्माण करवाया था। फिर 16th Century में मंदिर के southern part में दीवार का निर्माण Tirumalaya Setupathi ने कराया था। मंदिर के entrance पर ही Tirumalaya एवं इनके पुत्र की मूर्ति विराजमान है।

माना जाता है कि वर्तमान समय में Rameshwaram मंदिर जिस रूप में मौजूद है, उसका निर्माण 17th Centruy में कराया गया था। जानकारों के अनुसार King Kizhavan Sethupati or Raghunath Kilavan ने इस मंदिर के निर्माण कार्य की आज्ञा दी थी। मंदिर के निर्माण में Sethupati Empire का important contribution रहा है।

समय के साथ साथ यह मंदिर के विकास का प्रतीक है। नए भवनों के निर्माण और सुधार का प्रयास समाज के religious and cultural growth को promote करता है। यहाँ पर construction works में sculptural art का महत्वपूर्ण योगदान भी है, जो मंदिर को transform करते समय उपयोग किया जाता है।

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Architecture Of Rameswaram Temple

रामेश्वरम मंदिर का entry gate 40 feet ऊंचा है जो indian construction art का एक आकर्षक नमूना है। मंदिर में सैकड़ों विशाल खंभे हैं और प्रत्येक खंभे पर अलग अलग तरह की fine art works बनी है। इस मंदिर का निर्माण Dravidian architectural style में किया गया है।

मंदिर में लिंगम (lingam) के रूप में प्रमुख देवता रामनाथस्वामी यानि भगवान शिव को माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में दो लिंग हैं, एक देवी सीता द्वारा रेत से निर्मित जिन्हें कि मुख्य देवता माना जाता है और इन्हें रामलिंगम नाम दिया गया है। जबकि दूसरा लिंग हनुमानजी द्वारा कैलाश पर्वत से लाया गया, जिसे विश्वलिंगम के नाम से जाना जाता है।

भगवान राम के आदेशानुसार हनुमान द्वारा लाए गए शिवलिंग अर्थात् विश्वलिंगम की पूजा आज भी सबसे पहले की जाती है। यहाँ पर निर्मित लिंगम का पूरा इतिहास और उसके प्राचीनता की कथा हमारे religious and cultural heritage के महत्व को समझने में helpful होती है।

Interesting Facts About Rameshwaram Temple

  • यह मंदिर 1000 feet लंबा और 650 feet चौड़ा है। 40 feet ऊंचे दो पत्थरों पर एक लंबे पत्थर को लगाकर इस मंदिर का निर्माण किया गया है जो दर्शकों के आकर्षण का केंद्र है।
  • ऐसा माना जाता है कि रामेश्वरम मंदिर के निर्माण में लगे पत्थरों को श्रीलंका से नावों द्वारा लाया गया था।
  • रामेश्वरम का corridor विश्व का सबसे लंबा corridor है। यह north-south में 197 मीटर एवं east-west में133 मीटर है। इसके परकोटे की चौड़ाई छह मीटर एवं height नौ मीटर है। मंदिर के entry gate का गोपुरम 38.4 मीटर ऊंचा है। यह मंदिर लगभग 6 hectares में बना हुआ है।
  • Myths के अनुसार रामेश्वर मंदिर परिसर के भीतर के सभी कुओं को भगवान राम ने अपने अमोघ बाणों से तैयार किया था। उन्होंने इन कुओं में कई तीर्थों का जल छोड़ा था।
  • ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति ज्योतिर्लिंग पर पूरी श्रद्धा से गंगाजल चढ़ाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • चूंकि भगवान राम से ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां शिव की पूजा की थी, इसलिए मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है।
  • रामेश्वरम मंदिर के अंदर 22 तीर्थ हैं, जो अपने आप में प्रसिद्ध हैं। मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थं नाम से जाना जाता है।

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Rameshwaram Temple में पूजा का समय

Rameshwaram Temple को सुबह पांच बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। श्रद्धालु सुबह पांच बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक दर्शन पूजन कर सकते हैं। ठीक एक बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद शाम तीन बजे मंदिर दोबारा खोला जाता है। इस समय शाम तीन बजे से रात के नौ बजे तक दर्शन किया जा सकता है। रामेश्वर मंदिर में होने वाली प्रत्येक पूजा का अलग अलग नाम है और ये पूजा अलग अलग समय पर होती है। इस पूजा का विशेष महत्व होता है इसलिए रामेश्वर मंदिर जाने वालों को इनमें जरूर शामिल होना चाहिए।

समयपूजा नाम
5:00 AMपल्लीयाराई दीप आराधना
5:10 AMस्पादिगलिंगा दीप आराधना
5:15 AMथिरुवनन्थाल दीप आराधना
7:00 AMविला पूजा
10:00 AMकालासन्थी पूजा
12:00 PMऊचीकला पूजा
6:00 PMसयारात्चा पूजा
8:30 PMअर्थजामा पूजा
8:45 PMपल्लीयाराई पूजा

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