हम जब भी अपने जीवन ने परेशान होते है और हमें अपनी परेशानी का समाधान नहीं मिलता तो अक्सर लोगो को ये कहते हुए सुना है की Mahabharata पढ़ो उसमे जीवन के हर समस्या का समाधान है। ये तो हम सभी जानते है कि Mahabharata में हमारे जीवन के हर समस्या का समाधान है।
हिन्दू धर्म में हमारे महाकाव्य रामायण और महाभारत का बहुत importance है। इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमारी life की ऐसी कोई problems नहीं है जिसका solutions Ramayana और Mahabharata में नहीं है। Ramayana से हमें अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी सीखने को मिलती है। महाभारत से हम ये सीखते है कि अधर्म के खिलाफ अगर अपने परिवार के खिलाफ जाना पड़े तो वो भी करना चाहिए। आज के इस blog में हम Mahabharata से जुड़े कुछ ऐसे facts के बारे में जानेंगे जिससे हम अब तक अनजान थे।
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ToggleUnknown facts about Mahabharata
द्वापर युग में कंश के वध से लेकर कुरुक्षेत्र के युद्ध तक कई सारी घटनाएं घटी। कुरुक्षेत्र के युद्ध को Mahabharata कहते है। ये युद्ध द्वापर युग में धर्म की स्थापना के लिए कौरवो और पांडवो के बीच लड़ा गया था। महाभारत से जुडी हुई कई सारी कहानियाँ है जिसे हम सभी जानते है वही कुछ ऐसी भी कहानियां और facts है जिसे बहुत ही कम लोग जानते है।
कुरुक्षेत्र का प्राचीन कुआँ
कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध present Haryana के Kurukshetra में लड़ा गया था। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी जगह Arjun को Geeta का महान ज्ञान दिया था। Archeological Department के research के अनुसार Mahabharata से जुडी हुई कई सारी चीज़े जैसे बाण और भाले मिली है। Kurukshetra के युद्ध में जिस कुएँ के मदद से चक्रव्यूह बनाकर अभिमन्यु को मारा गया वो कुआँ आज भी मौजूद है।
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Mahabharata से जुडी है Khatu Shyam की कहानी
द्वापर युग में कई सारे बलशाली योद्धा थे। उनमे से घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक सबसे ताकतवर थे। बर्बरीक इतने powerful थे कि वो केवल 3 ही बाण लेकर युद्ध में गए थे। भगवान श्रीकृष्ण को पता था कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हो गए तो ये धर्म युद्ध केवल कुछ ही मिनटों में ख़त्म हो जायेगा।
ऐसे में श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक से उनका सिर दान में मांग लिया। और साथ ही साथ ये भी वरदान दिया कि कलयुग में बर्बरीक को भगवान श्रीकृष्ण के नाम श्याम से जाना जायेगा। उनके सिर न होने की वजह से बर्बरीक को खाटू श्याम कहा जाने लगा।
लेकिन बर्बरीक ने अपनी एक इच्छा प्रकट कि की वो महाभारत के युद्ध का परिणाम देखना चाहते है। तब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के शरीर को युद्ध के मैदान से दूर ऐसे स्थान पर रखा जहाँ से वो महाभारत का युद्ध देख सके। जिस स्थान पर बर्बरीक का बिना सर वाला शरीर रखा गया वो आज राजस्थान के सीकर में है और वहाँ खाटू श्याम का भव्य मंदिर भी है।
सिंधु घाटी के decline की काफी सारी वजह थी। लेकिन एक वजह ऐसी भी थी जिससे हम अब तक अनजान थे। ब्रह्मास्त्र को इस संसार में अब तक का सबसे शक्तिशाली अस्त्र माना जाता है। महाभारत के युद्ध में जब गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अर्जुन पर इसका प्रयोग किया तो अर्जुन से अपने सारथि भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगी। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि अर्जुन तुम भी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करो और अपने साथ साथ अपने भाइयो को भी बचाओ।
तब अर्जुन ने इसका प्रयोग किया जिस वजह से लाखो लोगो की जान चली गई। ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर ब्रह्मास्त्र गिरा था वहाँ Indus Valley Civilization के लोग रहते थे और इसके गिरने से वहां भयानक तबाही हुई जो इस civilization के decline का कारण बना।
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Bheem और Balram के बीच युद्ध
श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम गदा युद्ध में माहिर थे। युद्ध के शुरू होने से पहले दुर्योधन जब श्रीकृष्ण से मदद मांगने गया तो कृष्ण से कहा कि वो इस युद्ध में हथियार नहीं उठाएंगे। तब दुर्योधन से बलराम से मदद मांगी और उन्हें अपना गुरु मान लिया और साथ ही साथ एक वचन भी माँगा कि वो युद्ध में कौरवो के तरफ से लड़े तब बलराम ने कहा कि वो केवल ही प्रहर के लिए लड़ेंगे वो भी युद्ध के अंतिम दिन।
जिस दिन महाभारत के युद्ध का समापन होना था और भीम और दुर्योधन से बीच गदा युद्ध हो रहा था और अपने आप को हारता देख दुर्योधन से बलराम से मदद मांगी। तब अपने वचन को निभाने के लिए बलराम ने भीम से युद्ध किया। लेकिन कृष्ण की मदद से भीम जीत गए और उसी दिन दुर्योधन को मार कर महाभारत का युद्ध समाप्त किया।
Conclusion
Hindu Religion में हर चीज़ के पीछे बहुत ही मान्यतएं होती है। महाभारत से भी जुडी ऐसी कई सारी कहानियां है। Mahabhararta से जुडी हुई और भी ऐसी बातें है जिसे आप सब नहीं जानते होंगे। जितने दिन तक महाभारत का युद्ध हुआ उतने दिन तक द्रौपदी पांडवो के शिविर में ही थी। दुर्योधन के मरने के बाद द्रौपदी ने उसके खून से अपने बाल धोये थे।
जब श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे थे तो समय रुक गया गया था। और ऐसा माना जाता है कि अर्जुन के अलावा संजय और अर्जुन के रथ के झंडे पर बैठे हनुमानजी ने भी गीता का ज्ञान सुना था। इतना ही नहीं कुछ चिडियो ने भी गीता का ज्ञान सुना था। अगर आपको हमारा ये blog पसंद आया हो तो comment के through हमें जरूर बताएं।
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