Lal Krishna Advani को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव बीजेपी की ओर से आया है, जिसे लेकर देशभर के नेता और मंत्री उन्हें बधाई देने में संबंधित हैं। हालांकि, इस मौके पर एमपी कांग्रेस के प्रतिपक्ष नेता ने सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस के नेता ने पूछा है कि Lal Krishna Advani ने किस कारण से इस सम्मान को प्राप्त किया है, और उनके योगदान की महत्वपूर्णता क्या है। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सम्मान एक व्यक्ति के योगदान के आधार पर दिया जाना चाहिए, और लोगों को यह जानकर आत्मसमर्पण होना चाहिए कि यह सम्मान क्यों दिया जा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस प्रस्ताव को विस्तार से समझाना चाहिए और लोगों को सही जानकारी प्रदान करना चाहिए ताकि उन्हें सही संदेश मिले। यह सवाल खड़ा करता है कि राष्ट्रीय सम्मान की प्राप्ति के लिए कौन-कौन से मापदंडों को ध्यान में रखा गया है और इसे क्यों लागू किया जा रहा है।
इस विवाद के बावजूद, Lal Krishna Advani को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव एक राजनीतिक और सामाजिक चरित्र विशेषज्ञ के योगदान को मान्यता देने का प्रयास है, जिसपर विभिन्न दृष्टिकोण से राय बनी हुई है।
उमंग सिंघार जी के सोशल मीडिया पर लिखे गए तर्क से जागरूक हो रहे हैं और उनके सवाल ने आपत्तिजनक समर्थन की चर्चा को बढ़ा दिया है। Lal Krishna Advani को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का निर्णय सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के संदर्भ में विवेचित करना महत्वपूर्ण है।
Lal Krishna Advani को सरकार द्वारा ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का ऐलान हुआ है, जिसे लेकर विभिन्न विचारक और राजनीतिक व्यक्तियों के बीच मतभेद हैं। यह निर्णय एक पुराने और अनुभवी राजनेता को सम्मानित करने का प्रयास है, जिनका योगदान भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण रूप से रहा है।
उमंग सिंघार के सवाल ने सामाजिक और सांप्रदायिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनके योगदान पर सवाल उठाया है। आडवाणी जी को ‘रथयात्रा’ और ‘बाबरी मस्जिद’ के सम्बंध में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने रुझानों के माध्यम से साम्प्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दिया था। उनका एक महत्वपूर्ण कदम था बाबरी मस्जिद के विध्वंस की रथयात्रा, जिससे वे हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्धों में तनाव पैदा करने में सफल रहे थे। उनकी इस भूमिका ने समर्थन और विरोध के बीच में बड़ी चर्चाएं उत्पन्न की और उन्हें साम्प्रदायिकता के आरोपों का सामना करना पड़ा।
Lal Krishna Advani को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का निर्णय समर्थन और आपत्ति दोनों को एक साथ लेकर आया है। इसे सरकार ने उनके राजनीतिक योगदान को मानते हुए किया है, जिसमें उनके दशकों तक के राजनीतिक सेवानिवृत्ति और उनके प्रमुख भूमिकाओं को मध्यस्थता की गई है। उनका समर्थन करने वाले लोग उनके राजनीतिक दृष्टिकोण और उनकी विभिन्न योजनाओं को महत्वपूर्ण मानते हैं। विरोधी दलों का कहना है कि आडवाणी जी के साम्प्रदायिक दृष्टिकोण के कारण उन्हें इस सम्मान से विशेषज्ञता प्राप्त नहीं होनी चाहिए।
हालांकि, यह भी यथासंभाव है कि सम्मानित किए जाने वाले व्यक्ति के योगदान में सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाए। यह सामाजिक समर्थन और आपत्ति के बारे में विभिन्न मतों के एक संघर्ष का परिचय कराता है, जिससे लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो सके।
सामाजिक मीडिया पर उमंग सिंघार जी के तर्क ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है कि क्या सम्मानित किए जाने वाले व्यक्तियों का योगदान समर्थन और आपत्ति के लिए समर्थनीय होना चाहिए या नहीं। इससे सामाजिक मीडिया पर एक चर्चा उत्पन्न हो रही है, जिसमें लोग व्यक्तिगत रूप से और सामाजिक स्तर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।
समर्थन और आपत्ति के बीच की यह चर्चा समृद्धि और विभिन्नता को समझने का एक मौका प्रदान करती है, जिससे समाज में सहमति बन सकती है और लोगों के बीच आपसी समझ बढ़ सकती है। इससे हम समाज में सामंजस्य और समर्थन की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक कदम बढ़ा सकते हैं।
Table of Contents
Toggleक्या है पूरा मामला ?
जयराम रमेश के बयान के बाद जो विवाद उत्पन्न हुआ है, वह दरअसल 2002 के गुजरात दंगों के समय के संदर्भ में है। इस समय, गुजरात में हुए हिंसा और उसके पश्चात्ताप पर सवाल उठ रहे हैं। जयराम रमेश ने बताया कि जब उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात के तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने की कवायद कर रहे थे, तो उन्हें Lal Krishna Advani का समर्थन नहीं मिला था।
रमेश ने यह दावा किया कि वाजपेयी ने उस समय मोदी को हटाने की कवायद की थीं, लेकिन Lal Krishna Advani ने इसे समर्थन नहीं किया था। इस बयान से साफ होता है कि तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) के दो प्रमुख नेता वाजपेयी और आडवाणी के बीच में विचार विभिन्नता थी, जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से मोदी को हटाने का समर्थन और विरोध शामिल था।
2002 के गुजरात दंगों में हुई हिंसा और उसके पश्चात्ताप ने भारतीय राजनीति में गहरा प्रभाव डाला था। हिंसा के परिणामस्वरूप हुए नुकसान और मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाने वाली घटनाओं ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाज में चर्चाएं उत्पन्न कीं थीं।
इस बयान से सामने आए विवाद के बावजूद, Lal Krishna Advani को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। यह विभिन्न दृष्टिकोणों से उपस्थित विचारकों और राजनीतिक व्यक्तियों के बीच मतभेद का कारण बना हुआ है, जिसमें उनके पूर्व कार्यक्षेत्र, योगदान, और उनके राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से विचार-विमर्श हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और कद्दावर, Lal Krishna Advani को भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले की घोषणा की है, जिससे चर्चाएं उत्पन्न हो रही हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पीएम मोदी के इस फैसले पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि आडवाणी ने ही 2002 में पीएम मोदी को बचाया था, जिससे दोनों के बीच रिश्तों पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस घड़ी में भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण घटनाएं हो रही हैं और इससे संबंधित व्यक्तियों को सम्मानित किया जा रहा है। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से नवाजा जाना एक महत्वपूर्ण और सामाजिक घटना है, जिससे उनके योगदान को मान्यता मिल रही है।
कांग्रेस के नेता ने अपने तंज के माध्यम से उठाए गए सवालों से स्पष्ट किया है कि उनके दृष्टिकोण में आडवाणी जी ने मोदी को 2002 में हुई गुजरात हिंसा के समय में समर्थन किया था। इससे उन्होंने दोनों नेताओं के बीच के संबंधों को प्रकट करते हुए उनके रिश्तों की भी बात की है।
इस घटना के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विचार-विमर्श उत्पन्न हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि आडवाणी जी की समर्थन और आपत्ति दोनों ही दिशाएँ हैं। इस घटना के आसपास चर्चा हो रही है कि क्या राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में यह सम्मान योग्य है या नहीं। इस घटना से सामाजिक मीडिया और जनमानस में राय बनी हुई है और लोग अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यह भी दिखा रहा है कि राजनीतिक घटनाओं का समर्थन और आपत्ति कैसे सामाजिक मीडिया के माध्यम से हो सकता है और लोगों के बीच मतभेद उत्पन्न कर सकता है।
Lal Krishna Advani ने मोदी की कुर्सी बचा ली
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने शनिवार को 2002 की घटनाओं को याद किया। Lal Krishna Advani ने हर मोर्चों पर नरेंद्र मोदी का समर्थन किया है। रमेश ने 2002 के उस वक्त को याद किया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात के सीएम मोदी को हटाना चाहते थे लेकिन Lal Krishna Advani ने उनका समर्थन किया। 2014 में आडवाणी ने पीएम मोदी को शानदार इवेंट मैनेजर कहा था। आडवाणी ने मोदी के संगठनात्मक क्षमता की सराहना की थी। पांच अप्रैल 2014 को गोवा में आडवाणी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी मेरे शिष्य नहीं हैं, वह एक शानदार इवेंट मैनेजर हैं।
पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया
एलान के बाद Lal Krishna Advani ने कहा कि मैं अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ इस सम्मान को स्वीकार करता हूं। उन्होंने कहा कि यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का सम्मान है जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवनभर सेवा की है। Lal Krishna Advani ने कहा कि आदर्श वाक्य ‘यह जीवन मेरा नहीं है, यह मेरे राष्ट्र के लिए है’ ने मुझे प्रेरित किया है।
उन्होंने कहा कि आज मैं दो लोगों (पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी) को कृतज्ञतापूर्वक याद करता हूं, जिनके साथ मैंने काम किया है। साथ ही उन्होंने इस सम्मान के लिए राष्ट्रपति द्रौपद्री मुर्मू, पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने अपने परिवार के सभी सदस्यों, अपनी दिवंगत पत्नी कमला के प्रति अपनी गहरी भावनाएं व्यक्त करता हूं।
Our more articles are here:- https://sandeshpatr.com/
Our other articles are here:- https://khabharexpress.com/