DLS Method: DLS क्या होता है? ये कैसे काम करता है ? इसकी शुरुआत कैसे हुई ?3 min read

DLS Method
Spread the love

DLS Method: जैसा कि हम सभी जानते है की अभी T20 World Cup चल रहा है जो की अपने आखिरी पड़ाव की ओर पहुंच चूका है। इस T20 World Cup काफी सारे matches low scoring रहे है जो की काफी मजेदार match रहे है। वही कई सारे matches ऐसे भी रहे है जिसमे बारिश ने खलल डाली थी। इन matches में DLS Method का use किया गया था।

अब आपके मन में ये ख्याल जरूर आया होगा की ये DLS काम कैसे काम करता है ? इसकी शुरुआत किसने की और इसकी technique क्या है ? इसमें score कैसे decide होता है ? आज का ये blog आपके इन सारे सवालों के जबाब देगा।

What is DLS Method?

DLS Method, जिसे Duckworth-Lewis-Stran method भी कहा जाता है, एक mathematical formula है जिसका use limited overs के cricket match में बारिश या किसी अन्य obstruction के कारण खेल रोके जाने पर modified target decide करने के लिए किया जाता है। इसे सबसे पहले 1997 में England के Frank Duckworth and Tony Lewis द्वारा प्रस्तुत किया गया था और बाद में 2014 में Steve Stran द्वारा इसमें modification किया गया। यहाँ से इसका नाम Duckworth-Lewis-Stran method पड़ा।

Join our telegram channel  https://t.me/sandeshpatr

इस method का use batsmen and bowlers दोनों के contribution को ध्यान में रखते हुए revised target decide करती है। इसमें यह देखा जाता है कि खेल के किस time पर obstruction हुआ है, और उस समय तक कितने run बने हैं और कितनी wickets गिरी हैं। इसके basis पर, एक revised target decide किया जाता है जिसे दूसरी team को revised overs में हासिल करना होता है।

DLS Method कैसे काम करता है ?

इस method का use तब किया जाता है जब limited overs के matches में बारिश या किसी अन्य कारण से खेल में रूकावट आती है। इस condition में, DLS Method का use करके एक revised target decide किया जाता है ताकि खेल fair और उचित परिणाम पर पहुँच सके। इस method का use following processes के through किया जाता है:-

किस समय match रोका गया ?

जब मैच में कोई obstruction होता है, तो उस समय तक खेले गए overs and बने हुए runs को note किया जाता है। DLS Method batting team की बची हुई wickets and बचे हुए overs को resource मानती है। खेल के किस समय पर रूकावट आई, इस basis पर यह calculate किया जाता है कि दूसरी team के पास कितने resources बाकी हैं।

Follow us on Instagram https://www.instagram.com/sandesh.patr/

Revised target

पहली team द्वारा बनाए गए total runs को ध्यान में रखते हुए, DLS formula का use करके दूसरी team के लिए एक नया revised target decide किया जाता है। इस target में उन resources का use होता है जो दूसरी टीम के पास obstruction के बाद बचे हुए हैं।

Regular revised target

Match में जितनी भी बार रूकावट आएगी उतनी ही बार नए revised target decide किये जायेंगे।

इसकी शुरुआत कैसे हुई ?

DLS (Duckworth-Lewis-Stran) method का आरंभ cricket में 1990 के decade के middle में हुआ था। इसका main purpose यह था कि बारिश या किसी अन्य कारण से बाधित limited overs cricket matches में fair and balanced result ensure किया जा सके। इस method के starting की process following थी:-

Follow us on twitter https://twitter.com/sandeshpatr

1992 World Cup

1992 World Cup के एक match के दौरान बारिश ने खेल को बाधित कर दिया, जिसके बाद match का result बेहद controversial रहा। उस समय use की जाने वाली technique fair मानी गई, क्योंकि उसमें केवल overs घटाई जाती थी लेकिन wickets का ध्यान नहीं रखा जाता था।

Duckworth and Lewis का contribution

England के 2 statistician Frank Duckworth and Tony Lewis ने इस problem का solution निकालने के लिए एक mathematical formula develop किया। उन्होंने एक ऐसी technique तैयार की जिसमें batsmen and bowlers दोनों के योगदान का ध्यान रखा गया और wickets and overs दोनों को resource माना गया।

1997 में first use

Duckworth-Lewis method को पहली बार 1997 में officially पेश किया गया। यह method जल्दी ही popular हो गई और इसे International Cricket Council (ICC) द्वारा recognition मिल गई।

Stran का contribution

साल 2014 में, Steve Stran ने इस method में कुछ changes and modification किए, जिससे यह और अधिक accurate and reliable हो गई। इसके बाद इसे Duckworth-Lewis-Stran (DLS) method के नाम से जाना जाने लगा।

इस प्रकार, DLS Method का आरंभ cricket matches के दौरान बारिश या अन्य रुकावटों के कारण उत्पन्न होने वाले controversial results को fair बनाने के लिए हुआ। यह method आज International and domestic cricket में comprehensively use की जाती है और इसे सबसे reliable and accurate माना जाता है।

Disadvantages of DLS Method

इसे समझना complex and difficult हो सकता है। कुछ conditions में यह गलत भी हो सकता है, जैसे कि जब पहले batting करने वाली team ने match की starting में ही बहुत सारे wickets खो दिए हों। ऐसे matches में इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है जहाँ मौसम की स्थिति लगातार बदल रही हो।

Controversy with DLS Method

कई सारे international matches में जब DLS method का use किया गया तो इसने controversy को जन्म दिया। ऐसे कई सारे मौके आये जब इसके वजह से जीत रही team भी अपने match हार जाती है।

1992 World Cup Semifinals

साल 1992 का world cup कई मायनो में बेहद ख़ास था but इससे जुडी एक बहुत बड़ी controversy भी जुड़ी हुई है। इस World Cup के semifinal match में जब South Africa team, second innings में अच्छा perform कर रही थी तभी अचानक बारिश आ गई।

जब बारिश ख़त्म हुई तो South Africa को जो revised target मिला वो आज तक controversy बनी हुई है। South Africa को 1 ball पर 22 runs का target दिया गया जिस वजह African Team को हार का सामना करना पड़ा और England की team final में पहुँच गई।

2003 World Cup

ऐसा लगता है की South Africa और बारिश के बीच दुश्मनी चल रही है। जब भी African Team अच्छा perform कर रही होती है तभी बारिश आ जाती है और African Team की उम्मीदों पर पानी फीर जाता है। ऐसा ही कुछ 2003 में हुआ।

South Africa team को World Cup में बने रहने के लिए Sri Lanka को हराना जरुरी था। जब बारिश ख़त्म हुई तो South Africa team को revised target मिला। South Africa team अच्छा perform कर रही थी but African team से एक गलती हो गई और team world cup से बाहर हो गई।

Conclusion

इस method का use cricket में बारिश और अन्य वजह से रुकावट आती तो फिर भी match का result निकल सके। Starting में ये method useful थी but इसके साथ controversy भी जुडी रही। इसके वजह से कई सारी teams ने अपने जीते हुए matches हारे भी है। अभी इस technique में थोड़ी और सुधार की जरुरत है।

Our more blogs in this category is here https://sandeshpatr.com/category/sports/