Char Dham: भारत एक ऐसा देश है जहां देवी देवताओं को बहुत ज्यादा importance दिया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार 33 करोड़ देवी देवता मौजूद है। हर इंसान की अलग अलग भगवान में अपनी मान्यता रखता है। कोई शिवजी की पूजा करता है तो कोई हनुमान की। कोई राम की पूजा करता है तो कोई कृष्णा की। कोई दुर्गा को पूजता है तो कोई काली को।
लेकिन हर एक हिन्दू फिर चाहे वो किसी भी देवी देवता का अनुयायी हो अपने जीवन में अपने से कम से कम एक बार Char Dham की यात्रा जरूर करना चाहता है। लेकिन बहुत से लोग इस यात्रा को लेकर confuse रहते है कि इसे कहाँ से शुरू करनी है कैसे कैसे अपनी यात्रा पूरी करनी है। उससे भी पहले इस बात को लेकर confusion रहती है कि Char Dham Yatra में कौन कौन से स्थान शामिल होते है।
हमारा आज के ये blog आपके इसी confusion को दूर करेगा और Char Dham Yatra के बारे में आपको पूरी जानकारी देगा।
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हिन्दू धर्म में 2 Char Dham है एक भारत में और एक उत्तराखंड में। भारत के Char Dham में Badrinath, Puri, Rameshwaram और Dwarka शामिल है लेकिन Uttarakhand के Char Dham में Kedarnath, Badrinath, Gangotri और Yamunotri शामिल है। Uttarakhand के Char Dham को छोटा Char Dham कहते है।
इन दोनों Char Dhamo की अपनी importance है। दोनों चार धामों में सभी की मान्यता बहुत ज्यादा है। लोगो को लेकर इनकी आस्था बहुत ही ज्यादा है। इन धामों की यात्रा में काफी सारे लोग अपनी पूरी श्रद्धा से शामिल होते है। चार धामों में शामिल बद्रीनाथ, पूरी और द्वारका भगवान विष्णु और उनके अवतारों से जुड़ा है जबकि Rameshwaram भगवान शिव से जुड़ा है।
आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार ये सभी धाम अलग अलग युगो को बताते है। बद्रीनाथ सतयुग को, रामेश्वरम त्रेता युग को, द्वारका द्वापर युग को और पूरी कलयुग को बताती है। Char Dham की यात्रा बद्रीनाथ से शुरू होती है। बद्रीनाथ के बाद पुरी, फिर रामेश्वरम और आखिर में हमारी यात्रा द्वारका में समाप्त होती है।
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Badrinath
हिंदू मान्यता के अनुसार जब भगवान विष्णु के अवतार नर नारायण ने यहाँ तप किया अभी से ये स्थान प्रसिद्ध हो गया। उस समय इस जगह बहुत सारे जामुन के पेड़ थे, इसलिए इस जगह को बदरीकावन, यानि जामुन का जंगल कहा जाता था। एक मान्यता ये भी है कि नर नारायण को बारिश और धूप से बचाने के लिए उनके आस पास एक बहुत बड़ा जामुन का पेड़ उग आया था।
इस पेड़ के बारे में ये मान्यता है कि नर नारायण को बारिश और धूप से बचाने के लिए माता लक्ष्मी जामुन का पेड़ बन गईं। जब नर नारायण का तप पुरा हुआ तो उन्होंने ये घोषण कि की अब से लोग उनके नाम से पहले से माता लक्ष्मी का नाम लिया जायेगा। इसलिए हिन्दू धर्म में नारायण से पहले माता लक्ष्मी का नाम लिया जाता है और एक साथ उन्हें लक्ष्मी नारायण कहा जाता है। सतयुग में नर नारायण के तपस्या के कारण इस स्थान को जामुन के पेड़ों के स्वामी बद्रीनाथ के नाम से जाना जाने लगा। ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
Rameswaram
चार धामों में से दूसरा धाम Rameshwaram है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में जब श्रीराम ने रावण को मारकर वापस आ रहे थे तो ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति से लिए माता सीता के अनुरोध पर इसी स्थान पर भगवान शिव का लिंग बनाया और उनकी पूजा की। इस मंदिर में दो लिंग है। एक लिंग माता सीता ने बनाया और दूसरा लिंग हनुमान जी ने कैलाश से लाया था। ऐसा भी माना जाता है कि श्रीराम के पैरो के निशान आज भी वहाँ मौजूद है।
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Dwarka
इन बड़े चार धामों में से तीसरा धाम द्वारका में है। Dwarka भगवान कृष्ण की नगरी है और इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में हुई। पवित्र द्वारका नगरी के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस नगरी की स्थापना राधा रानी के एक सपने से हुई थी। एक बार जब राधा रानी सो रही थी तो उन्होंने एक सपना देखा जहाँ वो समुद्र के बीच बसे एक दिव्य नगर में श्रीकृष्ण के साथ रह रही थी।
जब राधा रानी ने श्रीकृष्ण को अपने सपने के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि राधा के हर सपने को पूर्ण करने की जिम्मेदारी उनकी है और उन्होंने समुद्र के बीच द्वारका नगरी को बसा दिया। क्योंकि ये नगरी राधा रानी के सपने से बसी थी इसलिए श्रीकृष्ण ने उनसे वादा किया कि जब तक राधा रानी इस नगरी में रहेगी द्वारका को कुछ नहीं होगा और जिस भी दिन राधा द्वारका छोड़ेगी उसी दिन द्वारका नगरी समुद्र में समा जाएगी।
द्वापर युग में द्वारका जैसी सुन्दर, दिव्य और सुरक्षित नगरी कोई भी नहीं थी। पूरा संसार द्वारका की सुंदरता और भव्यता की तारीफ़ करता था। निर्माण के देवता विश्वकर्मा ने स्वयं इस नगरी का निर्माण किया था। ये पूरी नगरी राधा रानी के सपने जैसी थी।
Puri
Jagannath Puri देश के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरो में से एक है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण के रूप जगन्नाथ को पूजा जाता है। यह भारत के एक मात्र मंदिर है जहाँ भगवान कृष्ण की पूजा उनकी बहन सुभद्रा और उनके भाई बालभद्र के साथ की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि मुख्य मंदिर 1000 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण राजा चोल गंगा देव और राजा अनंग भीम देव तृतीय द्वारा करवाया गया। इतना ही नहीं पूरी आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा बसाये गए चार मठो में से एक है। कई जैन तीर्थंकर ये मानते है कि जगन्नाथ जैन देवता थे। जैनो के अनुसार जगन्नाथ का मतलब है ‘दुनिया का मानवीकरण’।
Conclusion
हिन्दू धर्म में देवी देवताओ को लेकर बहुत मान्यता है। कई सारे प्राचीन मंदिर ऐसे भी है जिन्हे लेकर कई सारी मान्यता भी हैं। इन्ही मंदिरो में Char Dham के लिए हर किसी के दिल में विशेष स्थान है। इन चार धामों की यात्रा हमें एक बार जरूर करनी चाहिए। इन धामों को लेकर अलग अलग मान्यता भी है। अगर आपको हमारा ये blog पसंद आया हो तो comment के through हमें जरूर बताएं।
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