Arjuna vs Karna: इन दोनों में कौन था सबसे महान योद्धा ?1 min read

Arjuna
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Arjuna vs Karna: हिन्दू धर्म में रामायण और महाभारत सबसे बड़े religious epic माने जाते है। ऐसा माना जाता है इन ग्रंथो में हमारे life से जुड़े सारे सवालों के जबाब है। अगर किसी मर्यादा सीखनी है तो उसे रामायण पढ़नी चाहिए, अगर किसी को धर्म और कर्म में अंतर समझना है तो उसे महाभारत पढ़नी चाहिए।

महाभरत में गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, अर्जुन, कर्ण जैसे कई ऐसे योद्धा थे जिनकी वीरता और ताकत असीमित थी। इन सभी में सबसे ज्यादा चर्चा Arjuna and Karna की होती है। कई सारे लोगो का ऐसा कहना है कि कर्ण, अर्जुन से ज्यादा महान था। वही कुछ का ऐसा मानना है कि अर्जुन ज्यादा महान थे।

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महाभारत की लड़ाई एक परिवार की लड़ाई थी, जिसमे पांडव और कौरव शामिल थे। कुंती और पाण्डु के पांच बेटो में से अर्जुन सबसे ज्यादा काबिल थे। इतना ही नहीं अर्जुन को अभी तक का सबसे बड़ा धनुर्धर माना जाता है। ऐसा बोला जाता है की अर्जुन का निशाना अचूक था।

देवराज इंद्र Arjuna के आध्यात्मिक पिता थे। अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और गुरु द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होंने अपने श्रेष्ठ धनुर्धारी होने का परिचय इस दुनिया को दिया। इन्होंने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये भी एक प्रमुख योद्धा थे। अर्जुन ने ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण से अनेकों सवाल किये जिसे गीता के नाम से जाना जाता है।

अर्जुन ने स्वयंवर में घूमती हुई मछली की आंख में तीर मारकर उस स्वयंवर की शर्तो को पूरा किया और द्रौपदी से विवाह किया। महाभारत के युद्ध से पहले जब अर्जुन को ये मौका मिला की वो श्रीकृष्ण या उनकी नारायणी सेना में से किसे चुनेंगे तो अर्जुन ने श्रीकृष्ण को चुनते हुए ये बोला कि जब उनके साथ कृष्ण है तो उन्हें किसी और सेना की जरुरत नहीं है।

तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वो शस्त्र नहीं उठाएंगे वो बस अर्जुन का सारथी बने रहेंगे और युद्ध के दौरान सिर्फ अर्जुन को परामर्श देंगे। श्रीकृष्ण के सलाह से ही अर्जुन महाभारत युद्ध के सबसे important योद्धाओ में से एक थे। इतना ही नहीं अपने वनवास के दौरान जब अर्जुन अज्ञातवास पर विराटनगर में रह रहे थे तब कौरवो ने विराटनगर पर हमला किया था तो अर्जुन ने अपने भाइयो के साथ मिलकर कौरवो का सामना किया था। जब अर्जुन और कर्ण आपस में लड़ रहे तो अर्जुन ने अपने तीरो से कर्ण को घायल कर दिया था। ऐसे कई सारे मौके थे जिसमे अर्जुन ने ये साबित किया की वो सबसे बड़े धनुर्धर है।

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Karna

जब बात अर्जुन और महाभारत की तो और वहां कर्ण की बात न हो, ऐसा नहीं हो सकता। सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत के सबसे बड़े योद्धा में से एक थे। कर्ण को सूर्य देव के आशीर्वाद से शक्तिशाली कवच और कुंडल थे जिनके होते हुए कर्ण को कोई भी मार नहीं सकता था। लेकिन अर्जुन के आध्यात्मिक पिता देवराज इन्द्र ने छल करके कर्ण से उसके कवच और कुंडल मांग लिए थे।

हालाँकि कर्ण का जन्म कुंती और पाण्डु के विवाह से पहले हुए था और समाज के कारण कुंती ने कर्ण को नदी में प्रवाहित कर दिया जिसे बाद में अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने पाला और उसका नाम वासुसेन रखा। अधिरथ और राधा सूत थे जिस वजह से कोई भी गुरु उसे शस्त्रों की शिक्षा नहीं दे रहे थे।

उन दिनों गुरु द्रोणाचार्य कुरु राजकुमारों को शिक्षा प्रदान करते थे लेकिन उन्होंने कर्ण को इसलिए शिक्षा देने से मना कर दिया क्योंकि वह सुत पुत्र थे। जिसके बाद कर्ण को परशुराम का साथ मिला और उन्होंने कर्ण की प्रतिभा को निखार कर उसे दयावान, निपुण, धनुर्धारी और परिश्रमी बनाया। But कर्ण ने अपनी सच्चाई परशुराम से छिपाई थी।

महाभारत के युद्ध में जब भीष्म पितामह घायल हो गए थे तब कर्ण ने अपनी शक्ति का प्रयोग कर कौरवों की तरफ से पांडवों को युद्ध में कड़ी चुनौती दी थी। इस प्रकार महाभारत के युद्ध में सूर्य पुत्र कर्ण भी एक महान योद्धा थे। जब महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन और कर्ण का सामना हुआ तो दोनों ने भयंकर वानो की वर्षा की।

युद्ध भूमि में जब कर्ण और अर्जुन आमने सामने थे। तब अर्जुन के बाण से कर्ण का रथ दस कदम पीछे खिसक गया था और जब कर्ण ने बाण चलाया तब अर्जुन का रथ सात कदम पीछे चला गया था। जिस पर भगवान कृष्ण ने कर्ण की प्रशंसा करते हुए Arjuna से कहा था कि तुम्हारे रथ के ध्वज पर पवनपुत्र हनुमान विराजमान है, देवराज इन्द्र ने खुद ये अग्नि रथ तुम्हारे प्रदान किये थे और तुम्हारे रथ पर तीनों लोकों का भार लिए मैं बैठा हूं। ऐसे में तुम्हारे रथ को हिला पाना भी असम्भव है लेकिन कर्ण ने ऐसा कर दिखाया। जो कि कर्ण की धर्नुविद्या में पारंगत होना दर्शाता है।

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कुंती को ये बात पता थी की कर्ण उसका बेटा और अजुन का भाई है। ऐसे में कुंती ने कर्ण को उसकी सारी सच्चाई बता दी और ये वचन माँगा कि उसके पुत्र को जीवित रहने देना। कर्ण ने ये वचन दिया कि आपके पांच पुत्र जीवित रहेंगे। युद्ध के दौरान जब कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया था को कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने अपने तीर से कर्ण का अंत किया।

Conclusion

Arjuna aur Karna दोनों ही सबसे महान योद्धा थे। ये दोनों हर तरीके से एक ही समान थे। महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन ने धर्म का साथ दिया था but कर्ण ने अपनी सच्ची दोस्ती का परिचय देते हुए दुर्योधन के तरफ से युद्ध लड़ा। कर्ण ये बात अच्छे से जानता था कि वो गलत कर रहा है पर अपनी दोस्ती के लिए कर्ण ने दुर्योधन का साथ दिया और उसकी एक मात्र गलती थी। ऐसे में दोनों में से सबसे महान और बड़ा कौन है ये कहना आसान नहीं है।

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