Lord Ganesha: हिन्दू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो उसे शुरू करने के पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर होती है। भगवान गणेश एक मात्र ऐसे देवता है जिन्हे दूर्वा यानि की घास अर्पित किया जाता है। इन्हे ज्ञान के देवता के रूप में जाना जाता है। जो भी भक्त भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करता है, गणेशजी उसके सारे दुःख का अंत कर देते है। इन्हे विघ्नहर्ता, लंबोदर, मंगलमूर्ति और वक्रतुण्ड जैसे कई नामो से भी जाना जाता है।
हर देवी देवता से जुड़े कई सारे ऐसी बात है जिसके बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी होती है। आज हम भगवान गणेश से जुड़े इन्ही बातो के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
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ToggleInteresting facts about lord Ganesha
भगवान गणेश के 64 अवतार है जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। इन 64 अवतारों में से केवल 12 अवतार ही बहुत famous है। इतना ही नहीं इनसे जुड़े बहुत सारी mysteries और less known facts भी है।
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Lord Ganesha ने लिखी थी महाभारत
जब भी बात महाभारत की होती है तो वेद व्यास को इसके लेखक के रूप में जाना जाता है but बहुत ही कम लोग इस बात को जानते है कि महाभारत के वास्तविक लेखक गणेशजी है। गणेशजी ने 3 साल बिना रुके महाभारत लिखी थी। जब महर्षि वेद व्यास श्रीकृष्ण से ये सलाह लेने पहुंचे कि वो महाभारत को एक पुस्तक का रूप देना चाहते है लेकिन उनकी एक शर्त है कि जो भी इसे लिखने बैठेगा वो तब तक नहीं रुकेगा जब तक की पूरी महाभारत लिखी न जाये। ऐसे में श्रीकृष्ण के कहने पर गणेशजी ऐसा करने को तैयार हुए और पुरे 3 साल तक बिना रुके इस दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक ग्रंथ महाभारत लिखी।
ऐसा पड़ा एकदंत नाम
परशुराम के बारे में तो हम सब जानते ही है। उनके भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। एक बार जब परशुराम महादेव से मिलने आये तो उस समय महादेव अपनी तपस्या में लीन थे। महादेव ने गणेशजी को ये आदेश दिया था की किसी को भी अंदर आने न दे क्योकि वो तपस्या में बैठ रहे है। ऐसे में जब परशुराम आये तो गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने की permission नहीं दी।
तब गुस्से में आकर परशुराम ने अपने कुल्हाड़ी से गणेशजी पर वार किया। गणेशजी चाहते तो वो इस वार को आसानी से रोक सकते थे पर उन्होंने परशुराम का सम्मना करते हुए अपने एक दांत पर वार ग्रहण किया और इससे उनका एक दांत कट कर नीचे गिर गया। तब से गणेशजी का नाम एकदंत पड़ गया।
गणेश ने दिया चन्द्रमाँ को श्राप
बहुत ही कम लोग इस बात को जानते होंगे की भगवान गणेश के श्राप के वजह से ही चन्द्रमाँ पर ग्रहण लगता है। एक बार चन्द्रमाँ भगवान गणेश के मोठे होने पर उनका काफी मजाक उड़ा रही थी। गणेशजी ने उन्हें बहुत समझाया और अपनी गलती acdept करने के काफी सरे मौके दिए पर चाँद को अपनी खूबसूरती पर काफी ज्यादा घमंड था। ऐसे में चाँद को सबक सिखाने के लिए हमेशा खुश रहने वाले गणेश ने गुस्से में श्राप दे दिया की जिस खूबसूरती का उसे इतना ज्यादा घमंड है, अब उस पर ग्रहण लग जायेगा और कोई भी चाँद की खूबसूरती को नहीं देख पायेगा।
श्राप मिलते ही चाँद को उसकी गलती का एहसास हुआ। तब उसने गणेशजी से माफ़ी मांगते हुए उनसे अपना श्राप वापस लेने का अनुरोध किया। तो गणेशजी ने उन्हें बताया की वो श्राप तो वापस नहीं ले सकते। गणेशजी ने उन्हें ये बताया की महीने में एक बार चाँद अपनी पूरी चमक हासिल करेगा।
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गणेश और तुलसी की कथा
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार तुलसी नाम की एक स्त्री गणेशजी से बहुत ज्यादा प्रभावित थी। वो गणेशजी से विवाह करना चाहती थी। एक बार जब वो गंगा किनारे घूम रही थी तो उसने गणेशजी को वहां ध्यान करते देखा तो उसने गणेशजी को अपने मन की इच्छा बताई तो गणेशजी ने कहा कि मै तुमसे विवाह नहीं कर सकता। इस बात पर तुलसी अत्यंत गुस्सा हो गई और उसने गणेशजी को श्राप देते हुए बोला की आपकी शादी बहुत ही जल्द होगा। तो गणेशजी ने तुलसी को हमेशा के लिए एक पौधा होने का श्राप दे दिया।
देवी पार्वती के शरीर के गन्दगी से जन्मे थे श्रीगणेश
भगवान गणेश के जन्म के बारे में ऐसा बोला जाता है कि इनका जन्म देवी पार्वती के शरीर के गन्दगी से हुआ था। देवी पार्वती चाहती थी कि उनके पास भी कोई ऐसा वफादार हो जैसा महादेव के पास है। महादेव के पास नंदी है जो उनके वफादार के रूप में हमेशा उनके साथ रहता है।
बौद्ध धर्म में भी पूजे जाते है Lord Ganesha
श्रीगणेश की पूजा सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी की जाती है। बौद्ध धर्म में श्रीगणेश को विनायक के नाम से जाना जाता है। तिब्बत, चीन और जापान जैसे देशो में जहाँ बौद्ध धर्म को मानने वाले काफी लोग है, वहां श्रीगणेश को उनके ज्ञान के लिए पूजा जाता है।
निष्कर्ष
इन सभी बातो के अलावा एक बात ऐसी भी है जिसके बारे में काफी लोग जानते नहीं होंगे। जिस तरह हनुमान जी को सारे देवी देवताओ की शक्तियां प्राप्त थी उसी तरह गणशजी को भी सारे देवी देवताओ की शक्तियां प्राप्त है। जब गणेशजी महाभारत लिख रहे थे तो उनका कलम टूट गया महाभारत पूरा करने के लिए श्रीगणेश ने अपना दांत तोड़ कर उससे लिखा। गणेशजी को उनके ज्ञान और बुद्धि के लिए जाना जाता है।
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