Kedarnath Temple हिन्दुओ के सबसे famous और खास मंदिरो में से एक है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में में केदारनाथ का importance सबसे ख़ास है। यह मंदिर हिमालय की गोद में बसा हुआ है। इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल लाखो लोग आते है। केदारनाथ मंदिर nature में बसा हुआ एक बहुत ही सुन्दर मंदिर है।
इस मंदिर के construction से जुडी बहुत सी कहानियाँ है लेकिन कौन सी कहानी सही इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव राजा जन्मेजय ने करवाया था। मंदिर की दीवारे बहुत सी सुन्दर पत्थरो से बनी है और उनकी style बहुत ही ज्यादा attractive है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है। इसके अलावा, आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का renovation कराया था। Kedarnath Temple Indian culture and religion का important स्थान है।
हिमालय की पहाड़ियों में होने की वजह से ठंड के मौसम में वहां की तापमान बहुत ही कम हो जाता है, जिससे इस मंदिर का दर्शन करना अत्यंत कठिन हो जाता है। इसलिए, इस मंदिर के दर्शन का समय April से November तक माना गया है। केदारनाथ मंदिर को भगवान शिव के 5th ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल यात्रा करता है।
Table of Contents
Toggleपांडवों से जुड़ी है Kedarnath Temple की मान्यता
द्वापर युग में महाभारत के समय केदार क्षेत्र में भगवान शिव ने पांडवों को बेल के रूप में अपने दर्शन दिए । ऐसी मान्यता है कि अभी जो मंदिर है उसका construction 8th and 9th century में आदिगुरु शंकराचार्य ने करवाया था। यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।
Join our telegram channel https://t.me/sandeshpatr
यह मंदिर sea level से 3,583M की height पर है जिस वजह से यहां का मौसम काफी ठंडा होता है और ठण्ड के मौसम में मंदिर बंद रहता है। केदारनाथ मंदिर का importance काफी प्राचीन है और इसका उल्लेख हमारे mythology किया गया है। इस मंदिर के दर्शन करने से लोगों को spiritual progress मिलती है and वे अपने life को positive way में बदलने के लिए inspire होते हैं।

Kedarnath Temple का इतिहास
केदारनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। एक ancient story के अनुसार, जो आदमी स्वामी बद्रीनाथ के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा पूरी नहीं होती है। यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में किसी भी तरह का कोई भी historical evidence नहीं है but केदारनाथ मंदिर लगभग 1000 सालों से एक important pilgrimage sites रहा है। कुछ historical evidences के अनुसार ग्वालियर के राजा भोज द्वारा इस मंदिर का construction साल 1076 से 1099 के बीच कराया गया था। एक मान्यता के अनुसार present मंदिर आदिगुरु शंकराचार्य
केदारनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। एक ancient story के अनुसार, जो आदमी स्वामी बद्रीनाथ के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा पूरी नहीं होती है। यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में किसी भी तरह का कोई भी historical evidence नहीं है but केदारनाथ मंदिर लगभग 1000 सालों से एक important pilgrimage sites रहा है। कुछ historical evidences के अनुसार ग्वालियर के राजा भोज द्वारा इस मंदिर का construction साल 1076 से 1099 के बीच कराया गया था।
एक मान्यता के अनुसार present मंदिर आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा 8th century में बनवाया गया, और साथ ही साथ यह मंदिर पांडवों द्वारा बनाए गए सबसे पहले मंदिरो में से एक है। पांडव राजा जन्मेजय ने Kedar Valley के जमलोकी ब्राह्मण को इस मंदिर में पूजा अर्चना का अधिकार दिया। आदिगुरु शंकराचार्य जी के समय से यहां पर दक्षिण भारत के जंगम समुदाय के लोग रावल शिवलिंग की पूजा करते है।
Follow us on Instagram https://www.instagram.com/sandesh.patr/
केदारनाथ मंदिर की कहानी
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास बहुत पुराना है। इस मंदिर इतिहास विष्णु भगवान के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि से जुड़ा हुआ है। द्वापर युग में हिमालय के केदार पर्वत पर नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शंकर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उनके सामने प्रकट हुए। इस घटना के बाद से, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ने यहाँ बसे नारायण ऋषि के स्थानीय लोगो के लिए religious significance का केंद्र बना लिया। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय के केदार नामक शिखर पर है।

Kedarnath Temple का architecture
केदारनाथ मंदिर छह फीट ऊंचे square चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर के बाहर भगवान शिव के वाहन नन्दी बैल विराजमान हैं। मंदिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई authentic proof नहीं मिलता है but यह माना जाता है कि इस मंदिर का renovation आदिगुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
मंदिर को तीन भागों में बांटा जा सकता है। पहला भाग गर्भगृह है, जिसमें भगवान श्री केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है। ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यग्योपवित और प्राकृतिक स्फटिक माला आसानी से देखी जा सकती है। इस ज्योतिर्लिंग को नव लिंग केदार भी कहा जाता है। ज्योतिर्लिंग के पश्चिमी ओर एक अखंड दीपक है जो कई हजारों सालों से निरंतर जलता रहता है।
केदारनाथ मंदिर के west side चार विशाल pillar हैं जो चारों वेदों का symbol माने जाते हैं। केदारनाथ मंदिर न केवल religious point of view से important है, बल्कि tourism sector के लिए भी important है । यहाँ natural beauty and spiritual environment हर किसी को अपनी ओर attract करता है।
Follow us on twitter https://twitter.com/sandeshpatr

कैसे जाएं केदारनाथ?
केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग district में है। केदारनाथ आने के लिए आपको पहले हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून आना होगा। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून आने के लिए आपको पुरे देश से कई transport facility easily मिल जाते हैं। इन शहरों से bus, taxi की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। केदारनाथ यात्रा में गौरीकुंड पहुंचने के बाद लगभग 16 किलोमीटर का रास्ता पैदल या पालकी से या घोड़े की मदद से तय करना होता है।
Our more blogs in this category is here https://sandeshpatr.com/category/spritual/