Kuber Pujan : सनातन धर्म में Kuber Pujan और उनका आदर करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कुबेर देव को धन के राजा के रूप में जाना जाता है और उनकी कृपा से ही समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसलिए, Kuber Pujan करने और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्धि और खुशियों से भर देने के लिए हर शुक्रवार को उपयुक्त माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति शुक्रवार को Kuber Pujan करता है, उसके जीवन में धन संबंधी सभी समस्याओं का समाप्त होता है। वह अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार देखता है और उसके घर में दरिद्रता का अंत होता है। इसलिए, इस दिन उपवास रखकर और Kuber Pujan करके व्यक्ति अपने जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है।
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Kuber Pujan के लिए अनेक प्रकार के परंपरागत तरीके होते हैं, लेकिन एक साधारण तरीका यह होता है कि सुबह स्नान करने के बाद व्यक्ति पूजा का आयोजन करता है। स्नान के बाद, व्यक्ति कुबेर देव की मूर्ति को सजाता है और उन्हें फूलों, धूप, दीप, नैवेद्य, और धन के सिक्के के रूप में प्रसाद प्रदान करता है।

फिर व्यक्ति कुबेर चालीसा का पाठ करता है, जिसमें कुबेर देव की महिमा और उनकी कृपा के गुण गाए जाते हैं। इसके बाद, व्यक्ति कुबेर देव की आरती करता है, जिसमें दीप को घुमाया जाता है और आरती गाई जाती है। इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति धन, समृद्धि, और खुशियों की प्राप्ति के लिए कुबेर देव की कृपा को प्राप्त करता है।
कुबेर देव की पूजा के माध्यम से ही नहीं, व्यक्ति को धन का उपयोग कैसे करना चाहिए और दूसरों के साथ कैसे संबंध बनाए रखने चाहिए, यह भी सिखाया जाता है। Kuber Pujan और उनकी आराधना विशेष रूप से धर्मिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देती है, जो व्यक्ति को समृद्धि के साथ-साथ आत्मिक उन्नति की दिशा में भी अग्रसर बनाती है।
कुबेर देव की पूजा को ध्यानपूर्वक करने से व्यक्ति अपने जीवन में सदैव धन, समृद्धि, और खुशियों की बरकत को महसूस करता है। इस रूप से, Kuber Pujan और उनका आदर सनातन धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक आचरणों में से एक है, जो व्यक्ति को धन, समृद्धि, और आत्मिक संवृद्धि के प्राप्ति में मदद करता है।
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कुबेर देव की पूजा का आयोजन करने के लिए आपके पास अगर कुबेर देव की मूर्ति है, तो आप उस मूर्ति को पूजा स्थल पर रख सकते हैं। अगर मूर्ति नहीं है, तो आप उसकी जगह तिजोरी या गहनों के बक्से को उनके रूप में ले सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां भी आप उन्हें रखें, वह स्थान शुद्ध और साफ होना चाहिए।
पूजा की शुरुआत में, आपको तिजोरी या बक्से को सिन्दूर से स्वस्तिक का चिह्न बनाना चाहिए और उस पर ‘मौली’ बाँधना चाहिए। फिर, ध्यान दें कि आप कुबेर देव की मूर्ति या तिजोरी के सामने बैठें और मन में उनका ध्यान करें। उन्हें ‘मनुज ब्राह्य विमान स्थितम्, गरुण रत्न निभं निधि नायकम्, शिव सखं मुकटादि विभूषितम्, वर गदे दधतं भजे तुन्दिलम्’ मंत्र के साथ ध्यानित करें। फिर, कुबेरजी को आवाहन करने के लिए आप आवाहन मुद्रा दिखाकर उन्हें आवाहन कर सकते हैं।
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उन्हें ‘त्वामिहायाहि कृपां कुरु, कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परि रक्ष सुरेश्वर, श्रीकुबेर देवं आवाहयामि’ मंत्र बोलकर आवाहित करें। इसके बाद, आप पांच पुष्पों को अंजलि में लेकर तिजोरी के पास छोड़ें और ‘श्रीकुबेरदेवाय आसनार्थे पंच पुष्पाणि समर्पयामि’ मंत्र के साथ आसन समर्पित करें। इसके बाद, आप चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और ताम्बूल से कुबेरजी की पूजन करें।

साथ ही, आप ‘ऊँ श्रीकुबेराय नमः’ मंत्र के साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपहार समर्पित करें। अंत में, आप बाएं हाथ में गंध, अक्षत, और पुष्प लेकर दाहिने हाथ से ‘ऊँ श्रीकुबेराय नमः अनेन पूजनेन श्रीधनाध्यक्ष श्रीकुबेर प्रीयताम् नमो नमः’ मंत्र के साथ तिजोरी पर छोड़ें। इस प्रकार, कुबेर देव की पूजा का आयोजन करके आप धन, समृद्धि, और खुशियों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।
इस मंत्र का उपयोग जरूर करे
ऊँ श्रीकुबेराय नम: पादयो: पाद्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नम: शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः गन्धाक्षतं समर्पयामि।
ऊँश्रीकुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः धूपं घ्रापयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः दीपं दर्शयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नम: आचमनीयं समर्पयामि।
ऊँ श्रीकुबेराय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
Kuber Pujan आरती

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