Papmochani Ekadashi के दिन भगवान विष्णु को इन चीजों का लगाएं भोग, धन संबंधित परेशानियां होंगी दूर…..1 min read

Papmochani Ekadashi
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Papmochani Ekadashi : एकादशी व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है, जो हिंदू धर्म में संसार के पालनहार माने जाते हैं। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की एक बार एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक का अपना महत्व होता है। चैत्र मास में पड़ने वाली एकादशी को Papmochani Ekadashi के नाम से जाना जाता है।

Papmochani Ekadashi का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसकी आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया व्रत विष्णु भगवान के प्रिय होता है और वह अपने भक्तों को अपने निकट अत्यंत संतुष्ट मानते हैं।

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Papmochani Ekadashi के दिन भक्त फूल, तुलसी पत्ते, अदरक, निम्बू आदि से सजाए गए मंदिरों में जाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। विशेष रूप से भोग लगाने का धार्मिक महत्व होता है। यह भोग विशेषतः व्रत करने वाले के द्वारा प्रिय चीजों से तैयार किया जाता है और इसे भगवान को समर्पित किया जाता है। इस व्रत का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से होता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। यह व्रत व्यक्ति को सांत्वना और मानसिक शांति प्रदान करता है, साथ ही शरीर को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

अतः, Papmochani Ekadashi व्रत धर्म, संस्कृति और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे विशेष ध्यान और श्रद्धा से मनाने से व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है और वह एक सात्विक जीवन जीने की दिशा में अग्रसर होता है। Papmochani Ekadashi का व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसे भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है।

इस व्रत के दिन भगवान विष्णु को मनपसंद भोग अर्पित करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम के अनुसार, प्रत्येक एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के नाम पर रखा जाता है और हर एकादशी का महत्व भी अलग-अलग होता है। चैत्र मास में पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी को खास रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

Papmochani Ekadashi के दिन भगवान विष्णु को विशेष भोग अर्पित किया जाता है, जिससे उनका प्रसन्नता प्राप्त होता है। इस दिन भक्त विष्णु भगवान के लिए सभी प्रकार के स्वादिष्ट और प्रिय भोग तैयार करते हैं। यह भोग अक्सर खीर, पूरी, मिठाई, फल, पानी, तुलसी, नीरजा आदि को सम्मिलित करते हैं। इनके अलावा, धूप, दीप, फल, पुष्प आदि के साथ-साथ, अन्य प्रकार की भोग भी उपयोग किए जाते हैं।

भगवान विष्णु को Papmochani Ekadashi के दिन कोई भी प्रिय भोग अर्पित किया जा सकता है, जो उसके भक्त के द्वारा समर्पित किया जाता है। यह भोग भगवान की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है। भगवान विष्णु को भोग अर्पित करने से भक्त का मनोबल बढ़ता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

Papmochani Ekadashi

अतः, Papmochani Ekadashi के दिन भगवान विष्णु को मनपसंद भोग अर्पित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। यह व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

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Papmochani Ekadashi के दिन के से हिसाब से लगाएं भोग

Papmochani Ekadashi तिथि की पूजा आराधना के बाद, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है। पंचामृत एक प्रकार का आध्यात्मिक पदार्थ है जिसमें पाँच आश्विनी नक्षत्रों की शक्ति होती है। यह पंचामृत शुद्ध और प्राकृतिक पदार्थों का मिश्रण होता है जो अद्वितीय आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता है। इसमें शहद, दही, गाय का दूध, घी और गुड़ होती है।

मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग बहुत ही प्रिय होता है और उन्हें यह अर्पित करने से वे अपने भक्तों को अत्यधिक कृपा करते हैं। यह पवित्र भोग विष्णु भगवान की प्रीति को प्रकट करता है और भक्त को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति में मदद करता है। इसके अलावा, पंचामृत का सेवन करने से जीवन में आ रही तमाम परेशानियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि का अनुभव होता है।

Papmochani Ekadashi तिथि के दिन, भगवान विष्णु को केले का भी भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि श्रीहरि को केले का भोग लगाने से धन संबंधित परेशानियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में संपत्ति और समृद्धि का आगमन होता है। केला एक प्रकार का संतुलित आहार होता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इसके सेवन से भोजन का परिपूर्ण अनुभव होता है और व्यक्ति की आत्मा को ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।

इस प्रकार, Papmochani Ekadashi तिथि के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत और केले का भोग अर्पित करना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ, जीवन में धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने में सहायक होता है। यह व्रत व्यक्ति को धन संबंधित समस्याओं से निपटने की शक्ति प्रदान करता है और उसे समृद्धि और सम्पत्ति की ओर अग्रसर करता है।

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बिना तुलसी के ना लगाएं भोग

Papmochani Ekadashi तिथि के दिन, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को साबूदाने का भोग भी अर्पित किया जा सकता है। साबूदाना एक प्रकार की खाद्य पदार्थ है जो व्रत के दिनों में सामान्यत: उपयोग किया जाता है। इसे खीर बनाकर भोग अर्पित किया जाता है, जो भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है। पापमोचनी एकादशी के दिन खीर का भोग लगाने से समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि का अनुभव होता है।

इस व्रत के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल को अवश्यकता के रूप में शामिल किया जाता है। तुलसी एक प्रमुख पौधा है जो हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह विशेष रूप से भगवान विष्णु के लिए प्रिय होता है। बिना तुलसी के भगवान विष्णु का भोग स्वीकार नहीं होता है, इसलिए इस व्रत के दिन तुलसी दल को भोग में शामिल किया जाता है।

Papmochani Ekadashi के दिन की खासता यह है कि इस दिन भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय भोग अर्पित किया जाता है, जिससे भक्तों को बड़े ही सुखदायक फल प्राप्त होता है। खीर का भोग लगाने से दुःखों से मुक्ति मिलती है और जीवन में संतोष और शांति का अनुभव होता है। इसके साथ ही, तुलसी दल को भोग में शामिल करने से भगवान विष्णु को अधिक प्रसन्नता मिलती है और उनके आशीर्वाद से भक्त को आत्मिक और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार, पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को साबूदाने की खीर का भोग अर्पित करने के साथ ही तुलसी दल को भी भोग में शामिल करना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ जीवन में सुख-शांति और धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने में मदद करता है।

भोग मंत्र

“त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।” यह श्लोक भक्ति और समर्पण का अभिव्यक्ति है। यह कहता है कि हे गोविन्द, मैं आपके ही अर्पित वस्त्र, अपनी भक्ति और समर्पण से सब कुछ आपके पास समर्पित करता हूँ। कृपया मेरे सामने आकर प्रसन्न हों, हे परमेश्वर।” यह श्लोक भक्त की अंतर्मुखी भावना को प्रकट करता है और उसकी ईश्वर के सामने समर्पण की प्रार्थना करता है।

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