Saat Mukhi rudraksha : रुद्राक्ष, सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण आभूषण के रूप में माना जाता है और इसे धारण करना बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह बीज पूरे विश्व में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक समुदायों में उपयोग किया जाता है, लेकिन विशेषता से हिन्दू धर्म में इसका महत्व है।
रुद्राक्ष का मुख्य उत्पत्ति स्थल है नेपाल और इसे हिन्दू मित्र शिव और पार्वती के प्रेम कथा से जोड़ा जाता है। इसे हिन्दू शास्त्रों में बहुत श्रेष्ठ और पवित्र माना जाता है और इसे भगवान शिव के अत्यंत प्रिय माला के रूप में वर्णित किया गया है।
रुद्राक्ष की मुख्य विशेषता उसके मुखों की संख्या के आधार पर है, जिससे इसे एक-मुखी, दो-मुखी, तीन-मुखी, चार-मुखी, पाँच-मुखी, सात-मुखी, आठ-मुखी, बारह-मुखी, ग्यारह-मुखी, बारह-तेरह-मुखी, और सोलह-मुखी रुद्राक्ष जैसे विभिन्न प्रकारों में प्राप्त किया जा सकता है। प्रत्येक मुख को विशेष शक्तियों और आशीर्वादों से युक्त माना जाता है और इसलिए व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के आधार पर रुद्राक्ष का चयन कर सकता है।
धारण करने का तरीका भी विशेष होता है और इसे प्रतिदिन की पूजा-अर्चना में शामिल किया जा सकता है। रुद्राक्ष का धारण करने से भक्त को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और इसे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण साधना के रूप में माना जाता है।
Saat Mukhi rudraksha, महा शिव पुराण में विस्तार से वर्णित है और इसे धारण करने से कई शास्त्रीय और आध्यात्मिक लाभ होता है। इसे धारण करने का विशेष सूत्र माना गया है, जो व्यक्ति को शनि ग्रह के दोषों से मुक्ति प्रदान करने में सहायक होता है।
Saat Mukhi rudraksha की खासियत यह है कि इसमें सात मुख होते हैं, जिससे इसे शनि देवता का स्वरूप माना जाता है। अगर किसी की कुंडली में शनि की दशा कमजोर होती है तो उसे सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करना सुझाया जाता है।
Saat Mukhi rudraksha का धारण करने से व्यापार में उन्नति होती है और व्यापारिक सफलता प्राप्त होती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को आत्म-निर्भरता बढ़ती है और सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह व्यक्ति को स्थिरता और सहिष्णुता की भावना प्रदान करता है, जिससे उसका आत्मिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने के लिए कुछ नियम होते हैं जैसे कि इसे पहले शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धारण करना चाहिए। इसे सात मुखी रुद्राक्ष यंत्र के साथ धारण करना भी फलकारी होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से जीवन में समृद्धि, सुख, और आनंद का अनुभव होता है, और व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होता है।
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ToggleSaat Mukhi rudraksha के क्या क्या लाभ?
व्यापार में उन्नति : Saat Mukhi rudraksha को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और इसे धारण करने से व्यक्ति को अनेक क्षेत्रों में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष विशेषता से धन संबंधित प्रदान करता है और इसका धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति आर्थिक स्थिति में सुधार प्राप्त कर सकता है।
Saat Mukhi rudraksha धन संबंधित समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है और व्यक्ति को आर्थिक स्थिति में स्थिरता प्रदान करता है। इसके धारण से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होता है। सात मुखी रुद्राक्ष को नौकरी में तरक्की के लिए भी बहुत प्रशंसा की जाती है। इसके धारण से व्यक्ति को कार्य में सफलता प्राप्त होती है और उसे अच्छी पदस्थान प्राप्त होती है।
सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए कुछ नियम होते हैं, जिन्हें अनुसरण करना चाहिए। इसे पहले शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धारण करना चाहिए और इसे सात मुखी रुद्राक्ष यंत्र के साथ धारण करना भी फलकारी होता है।सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से व्यक्ति को सात मुखों के द्वारा शनि देवता की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसके जीवन में समृद्धि और उन्नति होती है।
शनि ग्रह की कृपा : Saat Mukhi rudraksha शनि ग्रह से संबंधित है और इसे धारण करने से व्यक्ति को शनि ग्रह की शुभ दृष्टि प्राप्त होती है। शनि ग्रह व्यक्ति के जीवन में कठिनाईयों और परिक्षमाओं का प्रतीक है, लेकिन सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से व्यक्ति को इस ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या विशेष रूप से व्यक्ति को आर्थिक, स्वास्थ्य, और सामाजिक संबंधों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से शनि ग्रह की शुभ दृष्टि मिलती है और व्यक्ति इन चुनौतियों को सहने में सक्षम होता है।
इसके अलावा, शनि ग्रह के दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी सात मुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। शनि के ग्रहण और दशा से रुजान और बचाव के लिए यह रुद्राक्ष प्रशंसा की जाती है। Saat Mukhi rudraksha का धारण करने से व्यक्ति को शनि के दुष्ट प्रभाव से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन सुखमय और समृद्धिपूर्ण होता है। इसका धारण करने के लिए विशेष रूप से शनिवार को शुभ माना जाता है और इसे पूरे विधिवत धारण करने के बाद व्यक्ति को इसके पूर्ण फल प्राप्त होते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति : Saat Mukhi rudraksha आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है, जिससे मन में भक्ति भाव और सकारात्मक विचारों का विकास होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से व्यक्ति मानवता के प्रति सकारात्मक भावना विकसित करता है और उसमें दया, करुणा, और शांति की भावना पैदा होती है। इससे उसका आत्मा उदार बनता है और वह दूसरों के प्रति सहानुभूति में वृद्धि करता है। सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से मन में शांति और स्थिरता बनी रहती है। यह व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ मेल जोड़ने में सहायक होता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ावा प्रदान करता है।
सात मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और उसे आत्मा के साथ साक्षात्कार होता है। इससे उसका मानवता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ता है और वह जीवन को सकारात्मकता के साथ देखता है।
Saat Mukhi rudraksha धारण करने के क्या नियम है?
- सात मुखी रुद्राक्ष को सोमवार, बुधवार, गुरुवार या शुक्रवार को धारण करना शुभ माना जाता है।
- इसे धारण करने से पहले इसे गंगाजल या दूध में धोकर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए।
- इसके बाद इसे मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करते हुए धारण करना चाहिए।
- सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करते समय मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
Saat Mukhi rudraksha धारण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें
- सात मुखी रुद्राक्ष को हमेशा अपने गले में धारण करना चाहिए।
- इसे धारण करते समय ध्यान रखें कि यह आपके शरीर को स्पर्श करे।
- इसे धारण करते समय हमेशा सकारात्मक विचार रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
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