7 Chiranjivi: कौन है ये 7 लोग जिन्हे मिला है अमरता का वरदान ?2 min read

7 Chiranjivi
Spread the love

7 Chiranjivi: हम सभी mythological stories सुनते हुए बड़े हुए है। इन सभी कहानियों में हमें ऐसे ऐसे योद्धाओ के बारे में सुना है जिनकी power unlimited थी। उन mythological stories में हमने कई बार रामायण और महाभारत के characters के बारे में भी सुना है।

कई बार हमने अपने stories में ऐसे लोगो के बारे में सुना है जिन्हे अमरता का वरदान मिला है। Hindu religion में 7 ऐसे लोग है जिन्हे immortality का वरदान मिला है। आज के इस blog में हम इन्ही 7 लोगो के बारे में जानेंगे।

Chiranjivi क्या होते है ?

Hindu literature के अनुसार Chiranjivi उन लोगो को कहते है जिन्हे कलियुग के अंत तक इस पृथ्वी पर रहने का वरदान मिला है। इनमे से कुछ लोगो को ये वरदान, श्राप भी लगता है। इन लोगो में Lord Hanuman, Lord Parshurama, Ashwatthama, Vibhishana, Sage Vyasa, Mahabali and Sage Kripacharya है। वही कुछ लोगो का मानना है की Sage Markendaya भी इस group में include है।

Join our telegram channel  https://t.me/sandeshpatr

Lord Hanuman

हनुमान जी को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त बोला जाता है। हनुमान जी की power unlimited थी। उनकी ताकत इतनी ज्यादा थी की उन्होंने बचपन में ही सूरज को एक सेब समझ कर निगल लिया था। उनकी इस ताकत से डर कर इंद्रदेव ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया।

इस हमले से हनुमान जी बेहोश हो गए थे। हनुमान जी को ऐसा देखकर उनके पिता पवनदेव काफी गुस्सा हो गए थे और उन्होंने पूरी पृथ्वी से वायु को वापस ले लिया। जब पूरी दुनिया हवा के बिना मरने लगी थी तो इंद्रदेव ने पवनदेव को समझाया की हनुमान अभी छोटा है और इतनी शक्ति को संभालने के लिए फिलहाल काबिल नहीं है। Future में सही time आने पर जब हनुमान को उनकी शक्तियों को फिर से याद दिलाया जायेगा तो तब हनुमान को उसकी सारी शक्तियां फिर से मिल जाएगी।

Follow us on Instagram  https://www.instagram.com/sandesh.patr/

सीता माता को खोजते हुए जब वानर सेना समुद्र के किनारे पहुंची तो सबने मिलकर हनुमान को उनकी शक्तियां याद दिलाई तब हनुमान जी ने लंका जाकर सीता माता को खोजा था। ऐसा कहा जाता है की उनमे इतनी शक्तियां है की उन्होंने एक बार शनिदेव को अपने गदे से पीटकर उनकी हालत खराब कर दी थी।

हनुमान जी के भक्ति से खुश होकर श्रीराम ने उन्हें अमरता का वरदान देते हुए बोला की जब तक ये दुनिया रहेगी तुम इस दुनिया की रक्षा के लिए रहोगे and अगर किसी भक्त को मुझे खुश करना है तो उसे तुम्हरी पूजा करनी होगी।

Lord Parshurama

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार परशुराम को भगवान विष्णु का 6th अवतार माना जाता है। इन्हे भी अमरता का वरदान मिला है और परशुराम, भगवान विष्णु के 10th and last अवतार कल्कि के गुरु बनेंगे। ऐसा माना जाता है की परशुराम को सभी अस्त्र – शस्त्र का ज्ञान था और अपने गुस्से में इन्होने कई बार पूरी पृथ्वी को नष्ट किया था।

परशुराम भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। विष्णुपुराण के अनुसार ऐसी मान्यता है की उनका असली नाम राम था लेकिन जब महादेव ने उन्हें अपना परशु दिया तो इनका नाम परशुराम पड़ गया। इनकी कठिन तपस्या से खुश होकर भगवन विष्णु ने इन्हे अमरता का वरदान दिया।

परशुराम ने ही भीष्म, द्रोण और कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। कर्ण ने अपनी सच्चाई छिपाकर परशुराम से शिक्षा ली थी but जब परशुराम को कर्ण की असलियत पता चली तो उन्होंने कर्ण को एक श्राप भी दिया जिसके अनुसार कर्ण को अपनी शक्ति का जब सबसे अधिक जरुरत होगी तो वो सब कुछ भूल जायेगा।

Follow us on twitter https://twitter.com/sandeshpatr

Ashwatthama

महाभारत के सबसे बड़े योद्धाओ में से एक गुरु द्रोण के पुत्र Ashwatthama को भी अमरता का वरदान मिला था लेकिन उनका ये वरदान खुद उनके लिए श्राप बन गया। महाभारत युद्ध के दौरान जब Ashwatthama ने श्रीकृष्ण को मारने की कोशिश की तो कृष्ण ने Ashwatthama को एक वरदान दिया जिसके अनुसार Ashwatthama अपनी सारी शक्तियों को खो कर एक साधारण मनुष्य के जैसे कष्ट और पीड़ा में कलियुग के अंत तक इस पृथ्वी पर रहेगा।

Vibhishana

लंकापति रावण के छोटे भाई विभीषण को भी अमरता का वरदान प्राप्त है। विभीषण ने हमेशा से ही सत्य और धर्म का मार्ग चुना था। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। उन्हें वरदान के पीछे का कारण, कलियुग में भगवान विष्णु के 10th and last अवतार कलि की सहायता के लिए दिया गया था।

7 Chiranjivi

Sage Vyasa

ऋषि व्यास महाभारत के रचियता है। उन्होंने गणेशजी के मदद से महाभारत लिखी। उन्होंने न सिर्फ महाभारत लिखी बल्कि उन सभी घटनाओ को खुद देखा भी है। द्वापर युग के हर भाग में अलग अलग व्यास थे। पहले द्वापर में खुद ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य, चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि 28 वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विस्तार या विभाजन किया गया। ऐसा माना जाता है कि वेद व्यास नाम के बजाय एक शीर्षक है।

7 Chiranjivi

Denom King Bali

असुरो के राजा बलि को भी अमरता का वर प्राप्त है। समुद्रमंथन के बाद जब देवताओ और असुरो में युद्ध हुआ तो असुरो ने अपनी मायावी शक्तियों का use करके देवताओ को हरा दिया। इसके बाद बलि ने विश्वजित्‌ और शत अश्वमेध यज्ञों को पूरा करके तीनो लोको पर अपना अधिकार कर लिया।

बलि एक महादानी भी था। जब उसका यज्ञ समाप्त हुआ तो दान के लिए एक वामन आया। वो वामन भगवान विष्णु का ही एक रूप था। वामन ने बलि से 3 पग भूमि दान में मांगी। पहले दो पगो में पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया और आखिरी पग के लिए बलि ने खुद को नपवा दिया। ऐसा माना जाता है की ओणम के दौरान राजा बलि हर साल केरल आकर अपनी प्रजा को देखते है।

7 Chiranjivi

Sage Kripacharya

ऋषि कृपाचार्य कौरवोँ और पांडवो के गुरु थे। कृपाचार्य गौतम ऋषि के पुत्र थे। इनका नाम शरद्वान था। शरद्वान की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने जानपदी नामक एक देवकन्या भेजी थी, जिसके गर्भ से दो भाई-बहन हुए।माता-पिता ने इन्हें जंगल में छोड़ दिया जहाँ महाराज शांतनु ने इनको देखा।

इन पर कृपा करके दोनों को पाला पोसा जिससे इनके नाम कृप तथा कृपी पड़ गए। इनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ और उनके पुत्र अश्वत्थामा हुए। अपने पिता के ही जैसे ही कृपाचार्य भी धनुर्धर हुए। कृपाचार्य इतने महान धनुर्धर थे की खुद देवराज इंद्र उनसे डरते थे। कुरुक्षेत्र के युद्ध में ये कौरवों के साथ थे और उनके नष्ट हो जाने पर पांडवों के पास आ गए। भागवत पुराण के अनुसार सावर्णि मनु के समय कृपाचार्य की गणना सप्तर्षियों में होती है ।

7 Chiranjivi

Conclusion

हिन्दू धर्म में कई सारे महान योद्धा हुए। उनमे से कुछ को अमरता का वरदान प्राप्त है। इनमे हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, विभीषण, वेदव्यास, असुर राजा बलि और गौतम ऋषि के पुत्र कृपाचार्य है। हमने हमेशा से ही इनके बारे में कहानियों में सुनते आ रहे है। इस सभी को कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान मिला है।

Our more blogs in this category is here https://sandeshpatr.com/category/spritual/